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गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं

  गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गणातीतरूपम्। भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।।Read More

जिनके अंगकी कान्ति मेघके सदृश श्याम है, उसमें ललित त्रिभंग शोभा पाता है, जो नाना रंगोंमें रहते हैं

हरे रामा रामा राम सीता राम राम राम – Hare Rama Rama Ram, Sita Ram Ram

सीताराम सीताराम सीताराम कहिए। जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए।। 1. मुख में हो...Read More

नमस्ते देवि गायत्रि सावित्रि त्रिपदेSक्षरे।

श्रीगायत्रीस्तोत्रम् नमस्ते देवि गायत्रि सावित्रि त्रिपदेऽक्षरे । अजरे अमरे मातस्त्राहि मां भवसागरात् ॥ १॥ नमस्ते...Read More

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