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नमस्ते देवि गायत्रि सावित्रि त्रिपदेSक्षरे।

श्रीगायत्रीस्तोत्रम् नमस्ते देवि गायत्रि सावित्रि त्रिपदेऽक्षरे । अजरे अमरे मातस्त्राहि मां भवसागरात् ॥ १॥ नमस्ते...Read More

📖 अमृत सिद्धि योग क्या है? हिंदू ज्योतिष में अमृत सिद्धि योग को अत्यंत शुभ और सौभाग्य प्रदान करने वाला योग माना जाता है। इस योग में किए गए शुभ कार्य निश्चित रूप से सफलता और समृद्धि प्रदान करते हैं। ‘अमृत’ का अर्थ होता है अमरता या अमूल्य, और ‘सिद्धि’ का अर्थ है सफलता। अर्थात यह योग जीवन में शुभता, सफलता और लाभ देने वाला होता है। 🌟 अमृत सिद्धि योग कैसे बनता है? जब चंद्रमा किसी विशेष नक्षत्र में आता है और विशिष्ट वार (दिन) के साथ संयोग करता है, तो अमृत सिद्धि योग बनता है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार यह योग नक्षत्रों और वारों के विशेष मेल से निर्मित होता है। ✨ अमृत सिद्धि योग का महत्व: ✔ विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, व्यवसाय आरंभ जैसे कार्यों में सफलता ✔ नौकरी और करियर में उन्नति ✔ संतान प्राप्ति या परिवार से जुड़े कार्यों में लाभ ✔ यात्रा की शुरुआत में सफलता ✔ संपत्ति खरीदने-बेचने में लाभ ✔ रुके हुए कार्य पूर्ण करने का श्रेष्ठ समय 🪔 अमृत सिद्धि योग में क्या करें? 1️⃣ गृह प्रवेश, गृह निर्माण का शुभारंभ 2️⃣ नया व्यवसाय शुरू करना 3️⃣ वाहन, प्रॉपर्टी, ज्वेलरी आदि की खरीदारी 4️⃣ विवाह, सगाई या रिश्तों की बातचीत 5️⃣ किसी भी बड़े फैसले की शुरुआत 🗝️ अमृत सिद्धि योग के विशेष उपाय: 🔸 इस योग में श्री गणेश या श्री विष्णु का पूजन करें। 🔸 “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। 🔸 जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र का दान करें। 🔸 दिन की शुरुआत में मीठा खाकर बाहर जाएं। ⚠️ क्या न करें: ❌ विवाद, झूठ या क्रोध से बचें। ❌ इस दिन अपवित्रता से दूर रहें। ❌ नकारात्मक कार्य या बुरे विचार त्यागें। 📌 निष्कर्ष: अमृत सिद्धि योग वह शुभ अवसर है जब आपके द्वारा किए गए कार्य स्थायी लाभ और सिद्धि प्रदान करते हैं। यदि आप जीवन में सफलता, समृद्धि और खुशहाली चाहते हैं तो इस योग का लाभ उठाएं। 👉 व्यक्तिगत शुभ समय और विशेष उपाय जानने के लिए विशेषज्ञ ज्योतिष से परामर्श अवश्य लें।

गोष्पदीकृतवारिशं मशकीकृतराक्षसम्।

गोष्पदीकृतवारिशं मशकीकृतराक्षसम्। रामायणमहामालारत्नं वन्देSनीलात्मजम्।। अञ्जनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशनम्। कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लङ्काभयङ्करम्।। गोष्पदीकृतवारीशं मशकीकृतराक्षसम्। रामायणमहामालारत्नं वन्देऽनिलात्मजम्॥ अर्थ:...Read More

तं सूर्यं जगतकर्तारं महातेजप्रदीपनम्।

यह वाक्य सूर्य अष्टकम से लिया गया है, जिसका अर्थ है ''महान प्रकाशक, जगत के...Read More

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