सूर्य की कृपा -सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करना

सूर्य की कृपा -सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करना
May 21, 2019
सूर्य की कृपा का अर्थ है सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करना। सूर्य देव को हिन्दू धर्म में एक देवता माना जाता है और उनकी पूजा करने से विभिन्न लाभ प्राप्त होते हैं। सूर्य देव की कृपा पाने के लिए, भक्त नियमित रूप से सूर्य को जल चढ़ाते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, और रविवार का व्रत रखते हैं।
-सूर्य-की कृपा…सूर्य देव कहते है,
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सूर्य को जल चढ़ाना:
सुबह सूर्योदय के समय, तांबे के लोटे में जल, रोली, अक्षत और लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। जल चढ़ाते समय ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए.
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रविवार का व्रत:
रविवार का व्रत रखने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है.
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सूर्य देव के मंत्रों का जाप:
सूर्य देव के विभिन्न मंत्रों का जाप करने से भी उनकी कृपा प्राप्त होती है.
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सूर्य देव की पूजा-आराधना:
सच्चे मन से सूर्य देव की पूजा-आराधना करने से भी उनकी कृपा प्राप्त होती है.
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दान-पुण्य:
रविवार के दिन गुड़, नमक, मसूर की दाल जैसी लाल रंग की वस्तुओं का दान करने से भी सूर्य देव प्रसन्न होते हैं.
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पिता का सम्मान:
सूर्य देव को पिता का कारक ग्रह माना जाता है, इसलिए अपने पिता का सम्मान करने और उन्हें खुश रखने से भी सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है.
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नौतपा में सूर्य उपासना:
नौतपा के दौरान सूर्य देव की उपासना करने से विशेष लाभ मिलता है according to religious texts on the internet.
सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन, यश, और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
ब्रह्म द्वारा सृष्टि की रचना करने के पश्चात..मनुष्य को रचा गया .मनुष्य के सुख दुख के लिए उसके ही द्वारा किया गया कर्म को आधार बनाया गया.संसार के सारे प्राणी अपने किए कर्म का ही फल पा रहे है.
किसको क्या मिलता है.कब मिलेगा कैसे और कहा मिलेगा.ये ब्रह्मा ने ‘ग्रह”के हाथो मे सुपुर्द किया.
आप एक ही दिन मे कई भावनाओ से गुज़रते है.सुबह हो सकता है की आप खुस रहे ,और शाम होते होते उदास ,,ऐसा कई बार हुआ ही होगा,शरीर मे व्याप्त ग्रह के प्रतिनिधित्व तत्व के कारण ऐसा होता है.भावनाओ का संबंध सीधे सीधे मन से है और मन का चन्द्रमा से इसी तरह सत्य और आनंद का संबंध सूर्य से है,आनंद का मतलब ख़ुसी विल्कुल ना समझे.खुश होना मन की अवस्था है,जबकि आनंद होना आत्मा ‘की आत्मा के संबंधित सभी चीज़ो का प्रतिनिधित्व सूर्य करते है.
सूर्य जीवन की सारे उत्कृष्ट चीज़ो का प्रतिनिधि है.चाहे शरीर के अंदर व्याप्त आत्म तत्व हो या बाहर दिखी जाने वाली ”नेत्र” भी.
सूर्य नित्य है,आपके करमो का दरष्टा है ,और स्रष्टा भी,सूर्य ही करमो के फल को परिभाषित करता है
क्योकि कर्म के दो ही फल है-
१)सुख
२)दुख
सुख देने के लिए वो स्वॅम उपस्थित होते है नित्य,आज भी ,और दुख देने के लिए उनका पुत्र ”शनि”.
मनुष्य का स्वाभाव है की उसे सुख ही सुख चाहिए ,,आनंद ही आनन्द ..चाहिएतो बिना सूर्य की कृपा के ये कैसे संभव है सूर्य की कृपा के अभिलाषी होना ही ,जीवन का उदेस्स होनी चहाइए,सारा सारा गायत्री विद्या ही सूर्य के इर्द-गिर्द है.
☀️ हजार नामों के समान फल देने वाले भगवान सूर्य के 21 नाम ☀️
श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब हुए भयंकर कुष्ठरोग से ग्रस्त
भगवान श्रीकृष्ण और जाम्बवती के पुत्र साम्ब बलवान होने के साथ ही अत्यन्त रूपवान भी थे। अपनी सुन्दरता का अभिमान ही उनके पतन का कारण बना। एक बार रुद्रावतार दुर्वासामुनि द्वारकापुरी में आए। तप से अत्यन्त क्षीण हुए दुर्वासा को देखकर साम्ब ने उनका उपहास किया। इससे क्रोध में आकर दुर्वासामुनि ने साम्ब को शाप दे दिया कि ‘तुम कोढ़ी हो जाओ।’ उपहास बुरा होता है; और वही हुआ।
भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब अत्यन्त भयंकर कुष्ठरोग से ग्रस्त हो गए। रोग दूर करने के लिए अनेक उपचार किए पर उनका कुष्ठ नहीं मिटा। कुष्ठरोग मिटाने के लिए साम्ब ने की सूर्योपासना
भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा से साम्ब चन्द्रभागा नदी के तट पर सूर्य की आराधना में लग गए। रोग से मुक्ति के लिए साम्ब नित्य भगवान सूर्य के सहस्त्रनाम का पाठ करते थे। एक दिन भगवान सूर्य ने साम्ब को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा–’तुम्हें सहस्त्रनाम से मेरी स्तुति करने की आवश्यकता नहीं है। मैं तुम्हें अपने अत्यन्त प्रिय एवं पवित्र इक्कीस नाम बताता हूँ, उनके पाठ से सहस्त्रनाम के पाठ का फल प्राप्त होगा। जो मनुष्य दोनों संध्याओं के समय इस स्तोत्र का पाठ करेंगे, वे समस्त पापों से छूटकर धन, आरोग्य, संतान आदि वांछित फल प्राप्त करेंगे और समस्त रोगों से मुक्त हो जाएंगे।’
☀️ भगवान सूर्य ने साम्ब को बताये अपने 21 नाम जो ‘स्तवराज’ के नाम से भी जाने जाते हैं ☀️
ॐ विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रवि:।
लोकप्रकाशक: श्रीमान् लोकचक्षुर्महेश्वर:।।
लोकसाक्षी त्रिलोकेश: कर्ता हर्ता तमिस्त्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचि: सप्ताश्ववाहन:।।
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृत:।।
भगवान सूर्य के ये 21 नाम हैं–
विकर्तन (विपत्तियों को नष्ट करने वाला)
विवस्वान् (प्रकाशरूप)
मार्तण्ड
भास्कर
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