सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्।

सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्।

यह “सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्” सूर्याष्टकम् का एक श्लोक है, जिसका अर्थ है: “सात घोड़ों के रथ पर सवार, प्रचंड, कश्यप के पुत्र, श्वेत कमल धारण किए हुए, सूर्य देव को मैं प्रणाम करता हूँ”. यह श्लोक भगवान सूर्य की स्तुति में है।

विस्तार में:
  • सप्ताश्वरथमारूढं:

    इसका अर्थ है “सात घोड़ों के रथ पर सवार”. सूर्य देव के रथ को सात घोड़ों द्वारा खींचा जाता है, जो सूर्य के सात रंगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 

  • प्रचण्डं:इसका अर्थ है “प्रचंड” या “अत्यंत तेजस्वी”. यह सूर्य देव की महान शक्ति और तेज को दर्शाता है। 
  • कश्यपात्मजम्:इसका अर्थ है “कश्यप के पुत्र”. सूर्य देव कश्यप ऋषि के पुत्र माने जाते हैं। 
  • श्वेतपद्मधरं:

    इसका अर्थ है “श्वेत कमल धारण किए हुए”. सूर्य देव को अक्सर श्वेत कमल के साथ चित्रित किया जाता है। 

  • देवं:

    इसका अर्थ है “देव” या “भगवान”. 

  • तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्:

    इसका अर्थ है “उन सूर्य देव को मैं प्रणाम करता हूँ”. 

    यह श्लोक भगवान सूर्य के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है, जैसे कि उनकी सवारी, उनका तेज, उनका वंश, और उनका प्रतीक। यह सूर्य देव की महिमा का वर्णन करता है और भक्त सूर्य देव को प्रणाम करते हैं। 

सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।

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