संपातक दोष क्या है? प्रभाव, कारण और निवारण | सम्पूर्ण जानकारी

संपातक दोष क्या है? प्रभाव, कारण और निवारण | सम्पूर्ण जानकारी

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📖 संपातक दोष क्या है?

हिंदू ज्योतिष में संपातक दोष एक महत्वपूर्ण दोष माना गया है, जो कुंडली मिलान (गुण मिलान) के दौरान सामने आता है।
जब वर और वधू के नक्षत्र संपातक स्थिति में होते हैं, तब संपातक दोष बनता है। इसका अर्थ होता है — टकराव या विरोध

संपातक शब्द का अर्थ होता है — परस्पर विरोधी होना या एक-दूसरे के विपरीत होना।

संपातक दोष, जिसे समसप्तक योग भी कहा जाता है, ज्योतिष में एक विशेष योग है जो तब बनता है जब दो ग्रह कुंडली में एक दूसरे से सातवें घर में स्थित होते हैंयह योग शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के प्रभाव डाल सकता है, लेकिन अक्सर इसे अशुभ माना जाता है, खासकर यदि इसमें शनि और सूर्य जैसे ग्रह शामिल हों. 

संपातक दोष के प्रभाव:
  • अशुभ प्रभाव:
    • कार्यस्थल पर अधिकारियों से मतभेद.
    • परिवार में अशांति और वाद-विवाद.
    • मानसिक तनाव और बेचैनी.
    • आंखों से संबंधित समस्याएं.
    • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं.

⚠️ संपातक दोष कब बनता है?

यह दोष तब बनता है जब लड़के और लड़की के जन्म नक्षत्रों के स्वामी आपस में एक-दूसरे के विपरीत या विरोधी होते हैं। इससे उनके स्वभाव, विचारधारा, और जीवन के लक्ष्यों में टकराव होने की संभावना बढ़ जाती है।उस संपातक दोष का उपाय हालांकि कुंडली के अंदर दिया गया है परंतु यह उपाय सिर्फ सूर्यग्रहण के मध्यकाल में ही करना होता है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि यह दोष बहुत प्रबल होता है


संपातक दोष के प्रभाव:

🔸 वैवाहिक जीवन में असंतोष और संघर्ष
🔸 विचारों में मतभेद
🔸 संतान सुख में बाधा
🔸 आर्थिक अस्थिरता
🔸 रिश्तों में मानसिक तनाव


🕉️ संपातक दोष के निवारण के उपाय:

✅ विवाह से पूर्व कुंडली मिलान कराएं और यदि संपातक दोष हो तो निम्न उपाय करें —
1️⃣ मंत्र जाप — ‘ॐ नमः शिवाय’ का नियमित जाप करें।
2️⃣ रुद्राभिषेक कराएं।
3️⃣ विवाह से पूर्व नक्षत्र शांति पूजा कराना शुभ होता है।
4️⃣ जरूरतमंदों को भोजन कराएं एवं वस्त्र दान करें।
5️⃣ विशेष मंत्रों और अनुष्ठानों के माध्यम से दोष निवारण संभव है — इसके लिए अनुभवी ज्योतिषाचार्य से परामर्श लें।
6️⃣ गुरुवार या सोमवार को व्रत करना लाभकारी होता है।


📌 निष्कर्ष:

यदि आपकी या आपके बच्चों की कुंडली में संपातक दोष निकलता है तो घबराएं नहीं। सही पूजा-पाठ, उपाय और ज्योतिष मार्गदर्शन से इस दोष का प्रभाव काफी हद तक कम या समाप्त किया जा सकता है। विवाह से पूर्व इस दोष का निवारण कर लेने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।

👉 व्यक्तिगत कुंडली अनुसार समाधान हेतु विशेषज्ञ ज्योतिष से सलाह लें।

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