आर्थिक तंगी से मुक्ति पूजा का सिंदूर, यह उपाय करेंगे हर संकट को दूर

आर्थिक तंगी से मुक्ति पूजा का सिंदूर, यह उपाय करेंगे हर संकट को दूर
May 22, 2019
आर्थिक तंगी से मुक्ति
आर्थिक तंगी से मुक्ति सिंदूर का टोटका
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान रहते हैं। चंद रुपये खर्च करने से पहले भी आप दस बार सोचते हैं तो एक नारियल पर सिंदूर लगाकर उसे लाल वस्त्र में बांधकर उसकी पूजा करें। इस नारियल को मां लक्ष्मी से धन प्राप्ति की प्रार्थना करते हुए अपने प्रतिष्ठान में सुरक्षित रख दें। इससे धन की समस्या धीरे-धीरे दूर हो जाएगी।काली हल्दी को सिंदूर लगाकर और धूप दिखाकर लाल वस्त्र में लपेटकर एक दो मुद्रा सहित बक्से में रख लें। इसके प्रभाव से धन की वृद्धि होती रहेगी।एक नारियल पर कामिया सिंदूर, मौली तथा बासमती चावल अर्पित करके उसका पूजन करें और फिर उसे हनुमान मन्दिर में जाकर चढ़ा आएं, धन लाभ होगा।
सिंदूर ‘कमीला जतन’ नामक पौधे की फली से प्राप्त होता है। यह वृक्ष लगभग 20 से 25 फीट ऊँचा होता है और इसकी फलियाँ गुच्छों में लगती हैं। फली के अंदर का भाग मटर की फली जैसा दिखाई देता है, जिसमें सरसों के आकार से थोड़े बड़े दाने होते हैं। ये दाने लाल रंग के पराग से ढके होते हैं, जिससे शुद्ध सिंदूर तैयार किया जाता है।”
पद, प्रतिष्ठा व सम्मान के लिए : एक पान की पत्ते पर थोड़ा-सा फिटकरी और सिंदूर बांधकर बुधवार की सुबह या शाम को पीपल के पेड़ के नीचे किसी बड़े पत्थर से दबा कर आ जाएं। पीछे पलटकर न देखें। यह कार्य 3 बुधवार तक करें।
दरवाजे पर सिंदूर क्यों : वास्तु शास्त्र के अनुसार दरवाजे पर तेल में मिश्रित सिंदूर लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है। यह घर में मौजूद वास्तुदोष को भी दूर करने में कारगर माना जाता है। इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि दरवाजे पर सिंदूर लगाने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर चढ़ी हुई गणेश प्रतिमा लगाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है
सूर्य-मंगल की शांति हेतु : यदि सूर्य और मंगल आपके लिए मारक ग्रह है और उनकी महादशा या अंतर्दशा चल रही है, तो सिंदूर को बहते जल में प्रवाहित करें। ऐसा करने से संबंधित ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है और सूर्य तथा मंगल शुभ फल देने लगते हैं।
रक्तदोष दूर करने हेतु : यदि रक्त संबंधी किसी रोग से पीड़ित हैं, तो सिंदूर को अपने ऊपर से वारकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। यह उपाय कम से कम पांच बार करेंगे तो शीघ्र ही रोग शांत हो जाएगा।