Wednesday Fast : Budhvar Vrat Katha, Puja Vidhi, udhyapan vidhi, Aarti in Hindi (बुधवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती) Budh Grah ke upay

Wednesday Fast : Budhvar Vrat Katha, Puja Vidhi, udhyapan vidhi, Aarti in Hindi (बुधवार व्रत कथा, पूजा विधि, आरती) Budh Grah ke upay
June 12, 2025
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बुधवार व्रत विधि |
इस व्रत को शुक्ल पक्ष के प्रथम (जेठे) बुधवार अथवा बुधवार के नक्षत्र युक्त बुधवार प्रारम्भ कर 21 या 45 व्रत करें। हरा वस्त्र धारण करके बीज मंत्र “ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।” की 17 या 3 माला जप करना चाहिए। उस दिन भोजन में नमक रहित, खाण्ड-घी से बने पदार्थ, जैसे- मूंगी का बना हुआ हलवा, मूंगी की बनी मीठी पंजीरी या मूंगी के लड्डूओं का दान करें। फिर तीन तुलसी पत्र, गंगाजल या चरणामृत के साथ लेकर स्वयं भी उपरोक्त पदार्थ खाए।
बुधवार के व्रत के दिन अपने मस्तक में चन्दन का तिलक करें। बुध देव की प्रतिमा अथवा बुध ग्रह के यंत्र को स्वर्ण पात्र रजत पात्र ताम्रपत्र अथवा भोजपत्र पर अंकित करके इसकी विधिवत षोडशोपचार से पूजा आराधना करके यथाशक्ति बुध देव के मंत्र का जाप करना चाहिए।
बुध ग्रह शांति का सरल उपचारः- हरा रंग, हरे वस्त्र तथा शृंगार की अन्य वस्तुएं, हरा रुमाल आदि रखना, कांसी के बर्तन में भोजन, बुधाष्टमी का व्रत।
बुधवार व्रत उद्यापन विधि |
बुधवार के व्रत के उद्यापन के लिए यथासंभव बुध ग्रह का दान जैसे पन्ना, सुवर्ण, कांसी, मूंग, खांड, घी, हरावस्त्र, हाथीदांत, सर्वपुष्प, कर्पूर, शस्त्र, फल आदि करना चाहिए। बुध ग्रह से संबंधित दान के लिए घटी 5 शेषदिन का समय सर्वश्रेष्ठ होता है। क्या-क्या और कितना दिया जाये, यह आपकी श्रद्धा और सामर्थ्य पर निर्भर रहेगा।
बुध ग्रह के मंत्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः का कम से कम 19000 की संख्या में जाप तथा बुध ग्रह की लकड़ी अपामार्ग से बुध ग्रह के बीज मंत्र की एक माला का यज्ञ करना चाहिए
व्रत के अंतिम बुधवार को हवन पूर्णाहुति करके छोटे बच्चों या अङ्गहीन भिक्षुक को मुंगी युक्त भोजन कराकर हरा वस्त्र, मूंगी आदि का दान भी करें। इस व्रत से विद्या, धन-लाभ, व्यापार में तरक्की तथा स्वास्थ्य लाभ होता है। अमावस का व्रत करने से भी बुध ग्रह जन्य नेष्ट फल से मुक्ति मिलती है।
देवता भाव के भूखे होते हैं अतः श्रद्धा एवं भक्ति भाव पूर्वक सामर्थ्य के अनुसार पूजा, जप, तप, ध्यान, होम- हवन, दान दक्षिणा, ब्रह्म भोज करना चाहिए।
बुधवार व्रत कथा |
एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिए अपनी ससुराल गया। वहां पर कुछ दिवस रहने के पश्चात सास-ससुर से विदा करने के लिए कहा। सब ने कहा कि आज बुधवार का दिन है, आज के दिन गमन नहीं करते हैं। परंतु वह व्यक्ति किसी प्रकार का प्रकार न माना और हठधर्मी करके बुधवार (Budhvar) के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा। राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति से कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है। तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया। जैसे ही वह व्यक्ति पानी लेकर अपनी पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठीक अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा में एक व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ रथ में बैठा हुआ है। उसने क्रोध में भरकर कहा-तू कौन है, जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है। दूसरा व्यक्ति बोला-यह मेरी पत्नी है मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूं। वे दोनों ही उस स्त्री को अपनी पत्नी और उस रथ को अपना रथ कह रहे थे। बात ही बात में वे दोनों परस्पर झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाहियों ने आकर लोटेने वाले व्यक्ति को पकड़ लिया। उन्होंने स्त्री से पूछा-तुम्हारा पति इसमें कौन-सा है ?
तब पत्नी चुप ही रही, क्योंकि दोनों एक जैसे थे। वह किसे अपना असली पति कहती। वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला-हे परमेश्वर! यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है। तभी आकाशवाणी हुई-हे मूर्ख ! आज बुधवार (Budhvar) के दिन तुझे गमन नहीं करना था। तूने किसी की बात नहीं मानी। यह सब लीला बुध देव भगवान की है। उस व्यक्ति ने बुधदेव से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। तब बुध देव जी अन्तर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुधवार (Wednesday) का व्रत वे दोनों पति-पत्नी नियम पूर्वक करने लगे। जो व्यक्ति इस कथा को पढता अथवा श्रवण करता है, उसको बुधवार (Budhvar) के दिन यात्रा करने का दोष नहीं लगता है और उसको सब प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
बुध ग्रह मन्त्र
बुध को वणिक का ग्रह माना गया है। यह ग्रह व्यापार, लेन-देन, क्रय-विक्रय, कंजूसी, ऐश्वर्य, भोग विलास, ज्योतिष विद्या, शिल्प कला, कानून आदि का कारक माना गया है। यह ग्रह 88 दिनों में सूर्य की पूरी परिक्रमा कर लेता है। यह उत्तर दिशा का स्वामी तथा वात पित्त कफ प्रधान श्याम वर्ण का ग्रह हैं। 12 राशियों के भ्रमण में इसे 316 दिन 6 घंटे लगते हैं। शरीर पर इस ग्रह का विशेष अधिकार कंधे और ग्रीवा पर रहता हैं तथा यह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी हैं। लेकिन मिथुन राशि पर विशेष बली होता हैं
कन्या राशि में उच्च का तथा मीन राशि में नीच का बन जाता हैं। बुध ग्रह बुध के साथ शुभ फल और शुक्र के साथ मिश्रित फल देता हैं। राहु, शनि, मंगल और केतु के साथ अशुभ फल देता हैं। बुध व्यापार का ग्रह हैं, उच्च का बुध जातक को व्यापार में श्रेष्ठता प्रदान करता हैं। व्यापार में उतार-चढ़ाव बुध के कारण ही होता हैं। व्यापारी वर्ग के व्यक्तियो के लिये बुध उच्च होना श्रेष्ठ माना जाता है। विन्शात्तरी महादशा के अनुसार इसकी महादशा 17 वर्ष की होती है।
बुध साधना कौन करे?
बुध व्यापार का ग्रह है। यह वाणी पर रहता है। इसके विपरीत प्रभाव से व्यापार में धन हानि, धन का नुकसान, व्यापार न चलना, खाली बैठे रहना, काम में मन न लगना, समय पर कार्य न होना, मानसिक कष्ट, व्यापार में पैसा फंसना, कर्जा चढ़ना, नशा करना, तंत्र बाधा, घर में मांगलिक कार्य न होना, अपमान, घर में क्लेश बना रहना, रिश्ते ख़राब होना, रिश्ते टूटना, तनाव, आर्थिक तंगी, गरीबी, किसी भी कार्य में सफल न होना, भाग्य साथ न देना, ब्लड-प्रेशर, हृदय रोग, कफ बनना, खांसी, फोड़ा-फुंसी, स्किन के रोग, नसों की समस्या, जहर खाना, पानी में डूबना, बीमारियों पर पैसा खर्चा होना, जीवन में असफलता आदि सब बुध की महादशा, अंतर दशा, गोचर या बुध के अनिष्ट योग होने पर होता है।
यदि आपके जीवन में इस तरह की कोई समस्या आ रही है तो कहीं न कहीं बुध ग्रह आपको अशुभ फल दे रहा है। बुध ग्रह के अशुभ फल से बचने के लिए अन्य बहुत से उपाय है पर सभी उपायों में बुध ग्रह मन्त्र का उपाय सबसे अच्छा माना जाता है। इन मंत्रों का कोई नुकसान नहीं होता और इसके माध्यम से बुध ग्रह के अनिष्ट से आसानी से पूर्णता बचा जा सकता है। इसका प्रभाव शीघ्र ही देखने को मिलता है।
किसी कारणवश आप यदि साधना न कर सके तो बुध तांत्रोक्त मन्त्र की नित्य 5 माला हरे आसन पर बैठकर हरी हकीक माला से या तुलसी की माला से जाप करें। तब भी बुध ग्रह का विपरीत प्रभाव शीघ्र समाप्त होने लग जाता है पर ऐसा देखा गया है कि मंत्र जाप छोड़ने के बाद फिर पुन: आपको बुध ग्रह के अनिष्ट प्रभाव देखने को मिल सकते है। इसलिए साधना करने का निश्चय करे तो ही अच्छा रहेगा। अगर आप साधना नहीं कर सकते तो किसी योग्य पंडित से भी करवा सकते है।
बुध का रत्न:
रत्न विज्ञान के अनुसार बुध ग्रह का रत्न पन्ना है और इसका उपरत्न हरा हकीक है। बुधवार के दिन प्रातः सूर्योदय के समय सवा पांच रत्ती का पन्ना या हरा हकीक रत्न दाहिने हाथ की कनिष्ठिका (सबसे छोटी अंगुली) में सोने की अंगूठी बनवाकर धारण करना चाहिये।
बुध ग्रह मन्त्र साधना विधान:
बुध साधना को गुरु पुष्य योग या किसी भी बुध से प्रारम्भ कर सकते है। यह साधना प्रातः ब्रह्म मुहूर्त (4:24 से 6:00 बजे तक) या दिन में (11:30 से 12:36 के बीच) कर सकते है पर इस साधना को प्रातः करना ज्यादा अच्छा माना जाता है। इस साधना को करने के लिए साधक स्नान आदि से पवित्र होकर हरे रंग के वस्त्र धारण कर लें। ईशान (पूर्व और उत्तर के बीच) दिशा की ओर मुख कर बैठ जायें। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर हरे रंग का कपड़ा बिछा दें।
चौकी पर शिव (गुरु चित्र) चित्र या मूर्ति स्थापित कर, मन ही मन शिव जी से साधना में सफलता हेतु आशीर्वाद प्राप्त करें। शिव चित्र के सामने एक थाली रखें उस थाली के बीच हल्दी से स्वास्तिक बनाये, उस स्वास्तिक में साबुत हरी मूंग की दाल भर दें, उसके ऊपर प्राण प्रतिष्ठा युक्त “बुध यंत्र’ स्थापित कर दें। यंत्र के सामने दीपक शुद्ध घी का जलाये फिर संक्षिप्त पूजन कर, दाहिने हाथ में पवित्र जल लेकर विनियोग करें-
विनियोग:
ॐ अस्य बुध मंत्रस्य गौतम ऋषि:, अनुष्टुप्छन्द:, सौम पुत्रो शान्ति देवता, ब्रह्मा बीजं सौम्य शक्ति: मम अभीष्ट सिद्धये जपे विनियोग:
विनियोग के पश्चात् गुरु का ध्यान करें—
प्रियंगु कलिका श्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।
सौम्यं सौम्य गुणोपेतं बंध तं प्रणमाम्यहम् ॥
ध्यान के पश्चात् साधक एक बार पुन: ‘बुध यंत्र’ का पूजन कर, पूर्ण आस्था के साथ ‘हरी हकीक माला’ से बुध सात्विक और गायत्री मंत्र की एक-एक माला मंत्र जप करें-
बुध गायत्री मन्त्र:
॥ ॐ सौम्य रूपाय विद्दहे वाणेशाय धीमहि तन्नो सौम्य: प्रचोदयात् ॥
बुध सात्विक मन्त्र:
॥ ॐ बुं बुधाय नम: ॥
बुध के गायत्री एवं सात्विक मंत्र के बाद बुध तांत्रोक मंत्र की नित्य 23 माला 11 दिन तक जाप करे।
बुध तांत्रोक्त मन्त्र:
॥ ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ॥
बुध स्तोत्र : नित्य मन्त्र जाप के बाद बुध स्तोत्र का पाठ हिन्दी या संस्कृत में अवश्य करें-
पीताम्बर: पीतवपुः किरीट श्र्वतुर्भजो देवदू: खपहर्ता ।
धर्मस्य धृक् सोमसुत: सदा मे सिंहाधिरुढो वरदो बुधश्र्व ॥1॥
प्रियंगुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् ।
सौम्यं सौम्य गुणोंपेतं नमामि शशिनन्दनम् ॥2॥
सोमसूनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित: ।
सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम् ॥3॥
उत्पातरूप: जगतां बुधपुत्रो महाद्दुति: ।
सूर्याप्रियकारी विद्वान पीड़ां हरतु मे बुध: ॥4॥
शिरीष पुष्पसङकश: कपिशीलो युवा पुन: ।
सोमपुत्रो बुधश्र्वैव सदा शान्ति प्रयच्छ्तु ॥5॥
श्याम: शिरालश्र्व कलाविधिज्ञ: कौतूहली कोमलवाग्विलासी ।
रजोधिको मध्यमरूपधृक् स्यादाताम्रनेत्री द्विजराजपुत्र: ॥6॥
अहो बुधसुत श्रीमन् मागधर्मासमुद्रव: ।
अत्रिगोत्रश्र्वतुर्बाहु: खङगखेटक धारक: ॥7॥
गदधरो नृसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित: ।
केतकीद्रुमपत्राभ इन्द्रविष्णुपूजित: ॥8॥
ज्ञेयो बुध: पण्डितश्र्व रोहिणेयश्र्व सोमज: ।
कुमारो राजपुत्रश्र्व शैशेव: शशिनन्दन: ॥9॥
बुधपुत्रश्र्व तारेयो विबुधो बोधनस्तथा ।
सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद: ॥10॥
एतानि बुध नामामि प्रात: काले पठेन्नर: ।
बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते ॥11
स्तोत्र का भावार्थ:
पीले कपड़े पहने हुए, पीली देह वाले, मुकुटधारी, चारभुजा धारी, भक्तों के दुखों को दूर करने वाले धर्मधारी, सिंहवाही, सोमपुत्र भगवान् बुध सदैव मेरे लिए वरदायी हों॥1॥
प्रियंगु फल तथा सोने के समान वर्ण वाले, अत्यधिक सौन्दर्य युक्त, सौम्य गुण वाले, सोमपुत्र भगवान् बुध को प्रणाम॥2॥
सोमपुत्र बुध, सौम्य गुणों से युक्त है, सदैव शांत, सदैव कल्याणकारी है, ऐसे भगवान बुध को नमन हो॥3॥
संसार में उपद्रव करने वाले, अत्यधिक तेजस्वी, सूर्य के लिए प्रिय कार्य करने वाले, विद्वान् भगवान बुध मेरे कष्टों को दूर करें॥4॥
शिरीष पुष्प के समान रंग वाले, युवा, चंचल, सोमपुत्र, बुध सदैव मुझे शांति प्रदान करें॥5॥
श्याम रंग वाले, कलाविद, कौतुल कदम वाले, कोमल वचन बोलने वाले, रजोगुण युक्त लाल नेत्र वाले सोमपुत्र बुध को नमन करता हूँ॥6॥
सोमपुत्र बुध, मध्यमार्ग में विकास करने वाले, चारभुजा वाले, अभिगोत्र में उत्पन्न तथा खड्ग धारण करने वाले है॥7॥
गदाधारी, न्रसिंहवाही, स्वर्णनाम, केतकी पुष्प के समान कान्ति वाले, इंद्र तथा विष्णु से अभिनंदित आपको नमन हो॥8॥
विद्वान्, रोहिणी नक्षत्र के साथ साथ रहने वाले, राजपुत्र, शिशुरूप में स्थित, राशि नन्दन बुध को नमन करता हूँ॥9॥
भक्तों को तारने वाले, विद्वान्, सौम्य गुणों से युक्त, शरीर में रक्त वृद्धि करने वाले बुध को बारम्बार नमन करता हूँ॥10॥
प्रात:काल जो साधक भगवान बुध के इन नामों को उच्चारण करते है बुधगत पीड़ा से मुक्त होकर, बुद्धिमान तथा विद्वान होते है॥11॥
बुध मंत्र साधना की समाप्ति:
बुध साधना ग्यारह दिन की है। साधना के बीच साधना नियम का पालन करें। भय रहित होकर पूर्ण आस्था के साथ ग्यारह दिन बुध ग्रह मन्त्र जप करें। नित्य जाप करने से पहले संक्षिप्त पूजन अवश्य करें। साधना के बारे में जानकारी गुप्त रखें। ग्यारह दिन तक बुध ग्रह मन्त्र का जाप करने के बाद मंत्र का दशांश (10%) या संक्षिप्त हवन करें। हवन के पश्चात् यंत्र को अपने सिर से उल्टा सात बार घुमाकर दक्षिण दिशा में किसी निर्जन स्थान या पीपल के नीचे रख दें। इस तरह से यह साधना पूर्ण मानी जाती है, धीरे-धीरे बुध अपना अनिष्ट प्रभाव देना कम कर देता है, बुध से संबंधित दोष आपके जीवन से समाप्त हो जाते है।
बुध देव की आरती
जय श्री बुधदेवा, स्वामी जय श्री बुधदेवा।
छोटे बड़े सभी नर-नारी, करे तेरी सेवा।।
सुख करता दुःख हरता, जय-जय आनंद दाता।
जो प्रेम भाव से पूजे, वह सब कुछ है पाता।।
सिंह आपका वाहन है, है ज्योति सबसे न्यारी।
शरणागत प्रतिपालक, हो भक्त के हितकारी।।
तुम्हें हो दीनदयाल दयानिधि, भव बंधन हारी।
वेद पुराण बखानत, तुम ही भय-पातक हारी।।
सद् ग्रहस्थ हृदय में, बुधराजा तेरा ध्यान धरें।
जग के सब नर-नारी, व्रत और पूजा-पाठ करें।।
विश्व चराचर पालक, कृपासिन्धु शुभ कर्ता।
सकल मनोरथ पूर्णकर्ता, भव बंधन हर्ता।।
श्री बुधदेव की आरती, जो प्रेम सहित गावे।
सब संकट मिट जाएं, अतुलित धन वैभव पावे।।