8 प्रकार के मोती

8 प्रकार के मोती

8 प्रकार के मोती
एस्ट्रोलॉजी में कुल 8 प्रकार के मोती पाए गए हैं जो इस प्रकार हैं – अभ्र मोती, शंख मोती, शुक्ति मोती, सर्प मोती, गज मोती, बांस मोती, शूकर मोती और मीन मोती।
मोती श्वेत और चमकदार होना चाहिए। इसमें किसी भी अन्य रंग या पीलेपन की झलक नहीं होनी चाहिए। जब आप मोती हाथ में लेंगे तो आपको उसका वजन महसूस नहीं होना चाहिए। शुद्ध मोती हमेशा वजनहीन प्रतीत होता है।
8 से 15 रत्ती का मोती चांदी की अंगूठी में जड़वा कर धारण करें। इस अंगूठी को सोमवार के दिन धारण करना है लेकिन धारण करने से ठीक एक रात पहले अंगूठी को दूध, गंगाजल, शहद, चीनी के मिश्रण में डालकर रात भर रखें। अगले दिन पांच अगरबत्ती चंद्रदेव को समर्पित करते हुए प्रज्जवलित करें और इस अंगूठी को अपनी कनिष्ठिका अंगुली में धारण कर लें।
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार चंद्रमा की यह अंगूठी धारण करने के 4 दिन के अंदर-अंदर अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देती है और औसतन 2 साल एक महीना और 27 दिन तक यह मोती अपना प्रभाव दिखाता है और इसके बाद निष्क्रिय हो जाता है।
यदि दोबारा इस मोती से लाभ पाना हो तो इस अंगूठी को गुनगुने पानी में चुटकी भर शुद्ध नमक डालकर रख दें। इससे इस अंगूठी की ऋणात्मक शक्ति नष्ट हो जाएगी और दोबारा उपयोग करने के लिए यह सक्षम हो जाएगी।
अमावस्या के दिन जन्मे लोग यह मोती अवश्य धारण करें। यदि कुंडली में राहु के साथ ग्रहण योग बन रहा है तो मोती जरूर पहनें।
यदि चंद्रमा कुंडली के छठे या आठवें भाव में बैठा है तो अशुभ प्रभाव कम करने के लिए मोती धारण करें। यदि चंद्रमा कुंडली में नीच का है तब भी मोती पहनना लाभकारी सिद्ध होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मोती को चंद्रमा की अशुभता दूर करने के लिए धारण किया जाता है। जन्म कुण्डली में यदि चंद्रमा के साथ पापी ग्रह राहु या केतु एक ही भाव में आकर बैठ जाएं तो यह चंद्र ग्रहण बनाता है। इस ग्रहण का जीवन पर अशुभ प्रभाव ना हो इसके लिए भी मोती धारण किया जाता है।

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