श्री राहु अष्टोत्तरशतनामावली

श्री राहु अष्टोत्तरशतनामावली
June 23, 2025
श्री राहु अष्टोत्तरशतनामावली –
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार राहु ग्रह भगवान भैरव का प्रतिनिधि है, जबकि ज्योतिष के अनुसार यह क्रूर ग्रह है। मान्यता है कि इसके कारण व्यक्ति के जीवन में बाधाएं आती हैं, वहीं यह अनुकूल रहे तो चमत्कारिक लाभ भी प्रदान करता है। राहु पुराणानुसार नवग्रहों में से एक है। वह सिंहिका के गर्भ से उत्पन्न विप्रचित्ति के पुत्र थे। देवताओं की पंक्ति में बैठकर इन्होंने चोरी से अमृत पी लिया था। सूर्य और चन्द्रमा ने राहु के इस कृत्य की जानकारी भगवान विष्णु को दी।
राहु अष्टोत्तरशतनामावली
ॐ राहवे नमः । ॐ सैंहिकेयाय नमः । ॐ विधुन्तुदाय नमः । ॐ सुरशत्रवे नमः । ॐ तमसे नमः । ॐ फणिने नमः । ॐ गार्ग्यायणाय नमः । ॐ सुरागवे नमः । ॐ नीलजीमूतसङ्काशाय नमः । ॐ चतुर्भुजाय नमः । ॐ खड्गखेटकधारिणे नमः । ॐ वरदायकहस्तकाय नमः । ॐ शूलायुधाय नमः । ॐ मेघवर्णाय नमः । ॐ कृष्णध्वजपताकावते नमः । ॐ दक्षिणाशामुखरताय नमः । ॐ तीक्ष्णदम्ष्ट्रधराय नमः । ॐ शूर्पाकारासनस्थाय नमः । १८ ॐ गोमेदाभरणप्रियाय नमः । ॐ माषप्रियाय नमः । ॐ कश्यपर्षिनन्दनाय नमः । ॐ भुजगेश्वराय नमः । ॐ उल्कापातजनये नमः । ॐ शूलिने नमः । ॐ निधिपाय नमः । ॐ कृष्णसर्पराजे नमः । ॐ विषज्वलावृतास्याय नमः । २७ ॐ अर्धशरीराय नमः । ॐ जाद्यसम्प्रदाय नमः । ॐ रवीन्दुभीकराय नमः । ॐ छायास्वरूपिणे नमः । ॐ कठिनाङ्गकाय नमः । ॐ द्विषच्चक्रच्छेदकाय नमः । ॐ करालास्याय नमः । ॐ भयङ्कराय नमः । ॐ क्रूरकर्मणे नमः । ३६ ॐ तमोरूपाय नमः । ॐ श्यामात्मने नमः । ॐ नीललोहिताय नमः । ॐ किरीटिणे नमः । ॐ नीलवसनाय नमः । ॐ शनिसामान्तवर्त्मगाय नमः । ॐ चाण्डालवर्णाय नमः । ॐ अश्व्यर्क्षभवाय नमः । ॐ मेषभवाय नमः । ४५ ॐ शनिवत्फलदाय नमः । ॐ शूराय नमः । ॐ अपसव्यगतये नमः । ॐ उपरागकराय नमः । ॐ सूर्यहिमांशुच्छविहारकाय नमः । ॐ नीलपुष्पविहाराय नमः । ॐ ग्रहश्रेष्ठाय नमः । ॐ अष्टमग्रहाय नमः । ॐ कबन्धमात्रदेहाय नमः । ५४ ॐ यातुधानकुलोद्भवाय नमः । ॐ गोविन्दवरपात्राय नमः । ॐ देवजातिप्रविष्टकाय नमः । ॐ क्रूराय नमः । ॐ घोराय नमः । ॐ शनेर्मित्राय नमः । ॐ शुक्रमित्राय नमः । ॐ अगोचराय नमः । ॐ माने गङ्गास्नानदात्रे नमः । ६३ ॐ स्वगृहे प्रबलाढ्यकाय नमः । ॐ सद्गृहेऽन्यबलधृते नमः । ॐ चतुर्थे मातृनाशकाय नमः । ॐ चन्द्रयुक्ते चण्डालजन्मसूचकाय नमः । ॐ जन्मसिंहे नमः । ॐ राज्यदात्रे नमः । ॐ महाकायाय नमः । ॐ जन्मकर्त्रे नमः । ॐ विधुरिपवे नमः । ७२ ॐ मत्तको ज्ञानदाय नमः । ॐ जन्मकन्याराज्यदात्रे नमः । ॐ जन्महानिदाय नमः । ॐ नवमे पितृहन्त्रे नमः । ॐ पञ्चमे शोकदायकाय नमः । ॐ द्यूने कलत्रहन्त्रे नमः । ॐ सप्तमे कलहप्रदाय नमः । ॐ षष्ठे वित्तदात्रे नमः । ॐ चतुर्थे वैरदायकाय नमः । ८१ ॐ नवमे पापदात्रे नमः । ॐ दशमे शोकदायकाय नमः । ॐ आदौ यशः प्रदात्रे नमः । ॐ अन्ते वैरप्रदायकाय नमः । ॐ कालात्मने नमः । ॐ गोचराचाराय नमः । ॐ धने ककुत्प्रदाय नमः । ॐ पञ्चमे धृषणाशृङ्गदाय नमः । ॐ स्वर्भानवे नमः । ९० ॐ बलिने नमः । ॐ महासौख्यप्रदायिने नमः । ॐ चन्द्रवैरिणे नमः । ॐ शाश्वताय नमः । ॐ सुरशत्रवे नमः । ॐ पापग्रहाय नमः । ॐ शाम्भवाय नमः । ॐ पूज्यकाय नमः । ॐ पाठीनपूरणाय नमः । ९९ ॐ पैठीनसकुलोद्भवाय नमः । ॐ दीर्घ कृष्णाय नमः । ॐ अशिरसे नमः । ॐ विष्णुनेत्रारये नमः । ॐ देवाय नमः । ॐ दानवाय नमः । ॐ भक्तरक्षाय नमः । ॐ राहुमूर्तये नमः । ॐ सर्वाभीष्टफलप्रदाय नमः । १०८ !
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र इस स्तोत्र के माध्यम से सबसे पहले सूर्य देव, फिर चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु ग्रह से पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की गई है. आज रविवार का दिन है और यह सूर्य देव से संबंधित है तो आप आज से ही नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र पाठ का प्रारंभ कर सकते हैं !
Navgraha Pidahar Stotra
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र – ग्रहाणामादिरादित्यो लोकरक्षणकारकः ।विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे रविः ॥ १ ॥ रोहिणीशः सुधामूर्तिः सुधागात्रः सुधाशनः ।विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे विधुः ॥ २ ॥ भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा ।वृष्टिकृद्वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु मे कुजः ॥ ३ ॥ उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युतिः ।सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुधः ॥ ४ ॥ देवमन्त्री विशालाक्षः सदा लोकहिते रतः ।अनेकशिष्यसम्पूर्णः पीडां हरतु मे गुरुः ॥ ५ ॥ दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामतिः ।प्रभुस्ताराग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगुः ॥ ६ ॥ सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः ।मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः ॥ ७ ॥ महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबलः ।अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे शिखी ॥ ८ ॥ अनेकरूपवर्णैश्च शतशोऽथ सहस्रशः ।उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे तमः ॥ ९ ॥ इति श्री नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र पूर्ण ||
नवग्रह कवच – नवग्रह कवच का महत्व इस नवग्रह कवच का पाठ प्रत्येक दिन श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन से रोग, कष्ट, ग्रहों के दोष, शत्रु बाधा, अनिष्ट नजर, अशुभ प्रभाव और अमंगलकारी आदि से मुक्ति मिलती है। नवग्रह कवच से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली, धन -सम्पत्ति, वैभव और यश की प्राप्ति होती है। नवग्रह कवच, जो बेहद चमत्कारी और लाभकारी मंत्र माना जाता है। इससे हमारे जीवन में आने वाले सभी कष्टों का निवारण होता है। इस नवग्रह कवच का पाठ प्रत्येक दिन श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन से रोग, कष्ट, ग्रहों के दोष, शत्रु बाधा, अनिष्ट नजर, अशुभ प्रभाव और अमंगलकारी आदि से मुक्ति मिलती है।
नवग्रह कवच –
मान्यता है कि कुंडली में अगर ग्रहों का अशुभ प्रभाव या ग्रहदोष हो तो यामल तंत्र में दिया गया ‘नवग्रह-कवच’ का पाठ बहुत असरदार सिद्ध होता है. मान्यता है कि नवग्रह कवच का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए. इसके पाठ करने से हर प्रकार की समस्या खत्म हो जाती है. मंत्रों का उच्चारण करते समय सदा उच्चारण का ध्यान रखना चाहिए ! नवग्रह कवच – Navagraha Kavach ॐ शिरो मे पातु मार्ताण्डो कपालं रोहिणीपतिः ।मुखमङ्गारकः पातु कण्ठश्च शशिनन्दनः ॥ १ ॥ बुद्धिं जीवः सदा पातु हृदयं भृगुनन्दनः ।जठरं च शनिः पातु जिह्वां मे दितिनन्दनः ॥ २ ॥ पादौ केतुः सदा पातु वाराः सर्वाङ्गमेव च ।तिथयोऽष्टौ दिशः पान्तु नक्षत्राणि वपुः सदा ॥ ३ ॥ अंसौ राशिः सदा पातु योगाश्च स्थैर्यमेव च ।गुह्यं लिङ्गं सदा पान्तु सर्वे ग्रहाः शुभप्रदाः ॥ ४ ॥ अणिमादीनि सर्वाणि लभते यः पठेद् धृवम् ।एतां रक्षां पठेद् यस्तु भक्त्या स प्रयतः सुधीः ॥ ५ ॥ स चिरायुः सुखी पुत्री रणे च विजयी भवेत् ।अपुत्रो लभते पुत्रं धनार्थी धनमाप्नुयात् ॥ ६ ॥ दारार्थी लभते भार्यां सुरूपां सुमनोहराम् ।रोगी रोगात्प्रमुच्येत बद्धो मुच्येत बन्धनात् ॥ ७ ॥ जले स्थले चान्तरिक्षे कारागारे विशेषतः ।यः करे धारयेन्नित्यं भयं तस्य न विद्यते ॥ ८ ॥ ब्रह्महत्या सुरापानं स्तेयं गुर्वङ्गनागमः ।सर्वपापैः प्रमुच्येत कवचस्य च धारणात् ॥ ९ ॥ नारी वामभुजे धृत्वा सुखैश्वर्यसमन्विता ।काकवन्ध्या जन्मवन्ध्या मृतवत्सा च या भवेत् । बह्वपत्या जीववत्सा कवचस्य प्रसादतः ॥ १० ॥ इति ग्रहयामले उत्तरखण्डे नवग्रह कवच समाप्तम् ।