श्रीशनि व शनिभार्या स्तोत्र

शनि ग्रह वैदिक मंत्र

श्रीशनि व शनिभार्या स्तोत्र

श्रीशनि व शनिभार्या स्तोत्र

शनिदेव की कृपा प्राप्ति कष्टमुक्ति का अचूक उपाय शनि स्तोत्र का पाठ, शनि प्रतिमा का पूजन व दान-जिनको शनिदेव की कृपा प्राप्त करनी हो उन्हें चाहिए कि वे शनिदेव की एक लोहे की प्रतिमा बनवाएं, जिसकी चार भुजाएं हों उनमें धनुष, त्रिशूल, बाण और वर मुद्रा अंकित कराएं। पीड़ा परिहार के लिए स्त्री-पुरुष शनिवार को व्रत रखकर, तैलाभ्यंगस्नान करके शनि पूजा के लिए बैठें। शनिदेव की लोहे की मूर्ति को काले तिल के ढेर के ऊपर स्थापित करें।

तिल के तेल या सरसों के तेल से शनिदेव की मूर्ति का अभिषेक-स्नान करें। मंत्र सहित विधिपूर्वक पूजन करते हुए कुमकुम से तिलक करें नीले, पुष्प, काली तुलसी, शमी के पत्ते, उड़द, गुड़ आदि अर्पित करें। शनि पूजन, जप व दान का संकल्प निम्न प्रकार से लें। हाथ में जल लेकर कहें:- मम – जन्मराशेः – सकाशात् अनिष्टस्थानेस्थितशनेः – पीड़ा – परिहार्थं एकादशस्थानवत् – शुभफलप्राप्त्यर्थ – लोहप्रतिमायां- शनैश्चपूजनं – तत्प्रीतिकरं स्तोत्र जपं एवं दानंच करिष्ये ।। ( पृथ्वी पर जल छोड़ें ) श्री शनि – शनि भार्या स्तोत्र ! Shree Shani – Shani bhaarya stotr

य: पुरा राज्यभ्रष्टाय नलाय प्रददो किल ।स्वप्ने सौरि: स्वयं मन्त्रं सर्वकामफलप्रदम्।।1।। क्रोडं नीलांजनप्रख्यं नीलजीमूत सन्निभम्।छायामार्तण्ड-संभूतं नमस्यामि शनैश्चरम्।।2।। ऊँ नमोSर्कपुत्रायशनैश्चराय नीहार वर्णांजननीलकाय ।स्मृत्वा रहस्यं भुवि मानुषत्वे फलप्रदो मे भव सूर्यपुत्र ।।3।। नमोSस्तु प्रेतराजाय कृष्ण वर्णाय ते नम: ।शनैश्चराय क्रूराय सिद्धि बुद्धि प्रदायिने ।।4।। य एभिर्नामभि: स्तौति तस्य तुष्टो भवाम्यहम् |मामकानां भयं तस्य स्वप्नेष्वपि न जायते ।।5।। गार्गेय कौशिकस्यापि पिप्पलादो महामुनि: ।शनैश्चर कृता पीड़ा न भवति कदाचन:।।6।। क्रोडस्तु पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोSन्तको यम: ।शौरि: शनैश्चरो मन्द: पिप्पलादेन संयुत:।।7।। एतानि शनि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।तस्य शौरे: कृता पीड़ा न भवति कदाचन ।।8।। ।।शनिभार्या नमामि।।

(शनि पत्नी के दस नाम) ध्वजनी धामनी चैव कंकाली कलहप्रिया ।क्लही कण्टकी चापि अजा महिषी तुरंगमा ।।9।। नामानि शनि-भार्याया: नित्यं जपति य: पुमान्।तस्य दु:खा: विनश्यन्ति सुखसौभाग्यं वर्द्धते ।।10।।

शनि का आशीर्वाद कैसे मिलता हैं ?

शनि ग्रह या भगवान शनि को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लियें आपको शनि बीज मंत्र यानी ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का जाप करना चाहियें । आपको इस मंत्र का 23000 बार जाप करना चाहियें। शनि कमजोर होने पर क्या होता हैं ?

कमजोर शनि के परिणाम:

व्यक्ति को लापरवाह और लक्ष्यहीन बनाता हैं ।  कम एकाग्रता शक्ति और काम में कोई ध्यान नहीं लगता।  सिरदर्द और माइग्रेन देता हैं, लेकिन सूर्य की स्थिति भी जांचे। हड्डियों का मजबूत न होना घुटनों और जोड़ों और पैरों में दर्द। ये शनि के कमजोर होनें के परिणाम हैं।

शनि देव का मूल मंत्र क्या हैं ?शनि बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः। शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।। निम्न: शनिदेव के मंत्र हैं।

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