विवाह मिलान में नक्षत्र का महत्व विवाह योग मिलान में नक्षत्र कैसे देखे जाते हैं

विवाह मिलान में नक्षत्र का महत्व विवाह योग मिलान में नक्षत्र कैसे देखे जाते हैं
June 25, 2025
🧿 विवाह मिलान में नक्षत्र का महत्व:
हिन्दू ज्योतिष में कुंडली मिलान (गुण मिलान) के लिए अष्टकूट मिलान प्रणाली का उपयोग किया जाता है, जिसमें कुल 36 गुण होते हैं। इसमें सबसे पहला और महत्वपूर्ण कूट होता है – ‘वर–वधु के नक्षत्रों का मिलान’, जिसे ‘नाड़ी कूट’ और ‘भकूट कूट’ कहा जाता है।
🪔 अष्टकूट मिलान में नक्षत्र से जुड़े प्रमुख भाग:
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वर्ष (Varna) – 1 गुण
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वश्य (Vashya) – 2 गुण
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तारा (Tara) – 3 गुण ✅
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योनि (Yoni) – 4 गुण
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ग्रहमैत्री (Graha Maitri) – 5 गुण
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गण (Gana) – 6 गुण
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भकूट (Bhakoot) – 7 गुण ✅
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नाड़ी (Nadi) – 8 गुण ✅
इनमें से Tara, Bhakoot, और Nadi तीनों सीधे तौर पर नक्षत्रों पर आधारित होते हैं।
🔢 1. तारा कूट (3 गुण) – नक्षत्र दूरी के अनुसार
यह वर और वधू के जन्म नक्षत्रों के बीच की दूरी पर आधारित होता है। यदि दूरी शुभ है, तो अधिक गुण मिलते हैं। इससे व्यक्ति के स्वास्थ्य और सौभाग्य का मिलान देखा जाता है।
🔥 2. गण कूट (6 गुण) – नक्षत्र के स्वभाव अनुसार
नक्षत्रों को तीन प्रकार के गणों में बाँटा गया है:
गण | प्रकृति |
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देव गण | शांत, धार्मिक, शुभ |
मानव गण | सामान्य, सामंजस्यपूर्ण |
राक्षस गण | तेजस्वी, उग्र, साहसी |
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यदि वर और वधू दोनों का गण एक जैसा है, तो 6 में से सभी गुण मिलते हैं।
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भिन्न होने पर कुछ गुण कट जाते हैं, जिससे वैवाहिक तालमेल में समस्या हो सकती है।
🪬 3. नाड़ी कूट (8 गुण) – सबसे महत्वपूर्ण मिलान
नाड़ी कूट सीधे नक्षत्रों के पदों पर आधारित होता है। तीन प्रकार की नाड़ियाँ होती हैं:
नाड़ी | संबंधित नक्षत्र |
---|---|
आदि नाड़ी | अश्विनी, भरणी, कृतिका, आदि |
मध्या नाड़ी | मृगशिरा, आद्रा, पुनर्वसू, आदि |
अंत्य नाड़ी | पुष्य, आश्लेषा, मघा, आदि |
👉 यदि वर और वधू की नाड़ी एक ही हो, तो इसे नाड़ी दोष कहते हैं और विवाह अशुभ माना जाता है। इससे संतान, स्वास्थ्य और जीवन में संकट आ सकते हैं।
🧪 उपाय: नाड़ी दोष को कई बार अन्य ग्रह स्थितियों या विशेष पूजाओं से शांति की जा सकती है।
🧭 4. भकूट कूट (7 गुण) – चंद्र राशि दूरी के आधार पर
वर और वधू की चंद्र राशियों के बीच ग्रह मैत्री और भाव स्थितियाँ कैसी हैं, यह देखी जाती है।
कुछ राशियाँ जब एक-दूसरे से 2/12, 6/8 या 5/9 स्थिति में होती हैं, तो भकूट दोष बनता है।
📘 विवाह नक्षत्र मिलान का सरल तरीका:
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वर और वधू का जन्म नक्षत्र और चंद्र राशि ज्ञात करें।
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उनके नाड़ी, गण, तारा और भकूट गुणों की जाँच करें।
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कुल 36 में से कम से कम 18 गुण मिलना आवश्यक होता है।
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यदि नाड़ी दोष या भकूट दोष बन रहा हो, तो शास्त्र अनुसार उपाय या परामर्श जरूरी होता है।
✅ उदाहरण:
वर – जन्म नक्षत्र: मृगशिरा, गण: देव, नाड़ी: मध्या
वधू – जन्म नक्षत्र: रोहिणी, गण: मानव, नाड़ी: आदि
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नाड़ी भिन्न = शुभ (8 गुण)
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गण भिन्न = मध्यम फल (3 गुण)
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Tara, Bhakoot आदि अलग से मिलेंगे