नाड़ी दोष क्या है? नाड़ी दोष का प्रभाव और निवारण | सम्पूर्ण जानकारी

नाड़ी दोष क्या है? नाड़ी दोष का प्रभाव और निवारण | सम्पूर्ण जानकारी
June 14, 2025
नाड़ी दोष क्या है, नाड़ी दोष उपाय, नाड़ी दोष निवारण, नाड़ी दोष के प्रभाव, नाड़ी दोष विवाह में, नाड़ी दोष ज्योतिष, नाड़ी दोष शांति
📖 नाड़ी दोष क्या है?
नाड़ी दोष वैदिक ज्योतिष में कुंडली मिलान का एक महत्वपूर्ण पहलू है। विवाह के समय लड़का और लड़की की कुंडली का मिलान करते हुए आठ गुण मिलान (अष्टकूट मिलान) किया जाता है। इन्हीं आठ गुणों में से एक है नाड़ी कूट, जिसकी अधिकतम 8 अंक होते हैं।
यदि वर और वधू की नाड़ी एक जैसी (सम नाड़ी) निकलती है तो उसे नाड़ी दोष कहा जाता है। इसे विवाह में एक बड़ा दोष माना जाता है।
तीनों नाड़ी दोषों का निर्माण
आदि नाडी का गठन: चंद्रमा के अश्विनी, आर्द्रा, पुनर्वसु, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा तथा पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में होने पर व्यक्ति की आद्य नाड़ी होती है।
मध्य नाडी का गठन: चंद्रमा के भरणी, मृगशिरा, पुष्य, पूर्व फाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा तथा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में होने पर व्यक्ति की मध्य नाड़ी होती है।
अंत्य नाडी का गठन: चंद्रमा जब कृत्तिका, रोहिणी, अश्लेषा, मघा, स्वाति, विशाखा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण तथा रेवती नक्षत्र में हो तो व्यक्ति की अंत्य नाड़ी होती है।
नाड़ी मिलान, पूर्ण रूप से इस नियम पर कार्य करती है कि दोनों वर और कन्या एक ही नाड़ी के हो। जब ऐसा होता है तो नाड़ी की संख्या आठ में से शून्य होती है। इसी कारण नाड़ी दोष बनता है। वर और कन्या की नाड़ी भिन्न होने पर 8 में से 8 अंक प्राप्त होते हैं। यदि उन दोनों की एक ही नाड़ी है, तो एक नाड़ी दोष या नाड़ी महादोष होता है।उदाहरण के लिए, यदि एक पुरुष की आद्य नाडी और कन्या की मध्य या अंत्य नाडी होने पर आठ में से 8 अंक प्राप्त होते हैं। इस दृष्टि से नाड़ियों की ऐसी तुलना सराहनीय है। वहीं यदि कन्या की भी आद्य नाड़ी हो तो 8 में से शून्य अंको की प्राप्ति होने के कारण नाड़ी दोष बनता है।
नाड़ीदोष – वैदिक ज्योतिष मानव शरीर में तीन अलग-अलग प्रकार की नाड़ियों की पहचान करता है, अर्थात, आदि नाड़ी (वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करती है), मध्य नाड़ी (अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती है) और अंत्य नाड़ी (जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है) जो शरीर के भीतर ऊर्जा प्रवाह की दिशा के बारे में जानकारी प्रदान करती है। नाड़ी दोष एक विशिष्ट ज्योतिषीय दोष या दोष है जो तब होता है जब वर और वधू के नक्षत्र एक ही नाड़ी श्रेणी के होते हैं। इस दोष के परिणामस्वरूप कई समस्याएं होती हैं, जिससे वैवाहिक संबंधों में असंतुलन पैदा होता है। जब भावी वर और वधू दोनों एक ही नाड़ी श्रेणी साझा करते हैं, तो उन्हें 0 का स्कोर प्राप्त होता है। यह नाड़ी दोष से बचने के महत्व को रेखांकित करता है।
⚠️ नाड़ी दोष क्यों बनता है?
नाड़ी दोष तब बनता है जब वर-वधू की नाड़ी आदि (वात नाड़ी), मध्य (पित्त नाड़ी), अंत (कफ नाड़ी) में से समान होती है। उदाहरण के लिए:
🔸 लड़के और लड़की दोनों की नाड़ी आदि हो — नाड़ी दोष बनेगा।
🔸 लड़के और लड़की दोनों की नाड़ी मध्य हो — नाड़ी दोष बनेगा।
❗ नाड़ी दोष के प्रभाव:
🔸 पति-पत्नी के बीच मानसिक असंतोष या मनमुटाव
🔸 संतान प्राप्ति में बाधा
🔸 वैवाहिक जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
🔸 वैवाहिक जीवन में क्लेश या कलह
🕉️ नाड़ी दोष के निवारण के उपाय:
✅ यदि विवाह कुंडली मिलान में नाड़ी दोष निकलता है तो इसके निवारण हेतु विशेष उपाय किए जा सकते हैं:
1️⃣ नाड़ी दोष निवारण पूजा कराएं।
2️⃣ कुंडली में अन्य गुणों (भूत, गण, योन, भकूट आदि) की साम्यता देखकर दोष को कम किया जा सकता है।
3️⃣ यदि दोनों की जन्म नक्षत्र भिन्न हों तो दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
4️⃣ गौदान या स्वर्णदान करना भी नाड़ी दोष शांति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
5️⃣ विवाह से पहले विशेष रुद्राभिषेक या महामृत्युंजय जप करवाया जाए तो लाभ मिलता है।
6️⃣ अनुभवी ज्योतिषाचार्य से कुंडली विश्लेषण कराकर उचित निर्णय लेना आवश्यक है।
📌 निष्कर्ष:
नाड़ी दोष विवाह संबंधों में समस्याओं का कारण बन सकता है, लेकिन यदि अन्य गुणों का मिलान अच्छा हो और उचित ज्योतिषीय उपाय कर लिए जाएं तो इसका प्रभाव कम किया जा सकता है। विवाह से पहले कुंडली मिलान कराना आवश्यक है ताकि आगे चलकर जीवन में संतुलन और सुख-शांति बनी रहे।
👉 व्यक्तिगत कुंडली विश्लेषण और नाड़ी दोष निवारण के लिए विशेषज्ञ ज्योतिष से संपर्क करें।