ग्रह अस्त Week Planets

ग्रह अस्त Week Planets
August 12, 2025
एक अच्छे ज्योतिषि के लिए किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली का अध्ययन करते समय अस्त ग्रहों का गहन अध्ययन करना अति आवश्यक है। किसी भी कुंडली में पाये जाने वाले अस्त ग्रहों का अपना एक विशेष महत्व होता है तथा इन्हें भली भांति समझ लेना एक अच्छे ज्योतिषि के लिए अति आवश्यक होता है। अस्त ग्रहों का अध्ययन किए बिना कुंडली धारक के विषय में की गईं कई भविष्यवाणियां गलत हो सकती हैं, इसलिए इनकी ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। आइए देखते हैं कि एक ग्रह को अस्त ग्रह कब कहा जाता है तथा अस्त होने से किसी ग्रह विशेष की कार्यप्रणाली में क्या अंतर आ जाता है। आकाश मंडल में कोई भी ग्रह जब सूर्य से एक निश्चित दूरी के अंदर आ जाता है तो सूर्य के तेज से वह ग्रह अपनी आभा तथा शक्ति खोने लगता है जिसके कारण वह आकाश मंडल में दिखाई देना बंद हो जाता है तथा इस ग्रह को अस्त ग्रह का नाम दिया जाता है। प्रत्येक ग्रह की सूर्य से यह समीपता डिग्रियों में मापी जाती है तथा इस मापदंड के अनुसार प्रत्येक ग्रह सूर्य से निम्नलिखित दूरी के अंदर आने पर अस्त हो जाता है : चन्द्रमा सूर्य के दोनों ओर 12 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माने जाते हैं। गुरू सूर्य के दोनों ओर 11 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माने जाते हैं। शुक्र सूर्य के दोनों ओर 10 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माने जाते हैं। किन्तु यदि शुक्र अपनी सामान्य गति की बनिस्पत वक्र गति से चल रहे हों तो वह सूर्य के दोनों ओर 8 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माने जाते हैं। बुध सूर्य के दोनों ओर 14 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माने जाते हैं। किन्तु यदि बुध अपनी सामान्य गति की बनिस्पत वक्र गति से चल रहे हों तो वह सूर्य के दोनों ओर 12 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माने जाते हैं। शनि सूर्य के दोनों ओर 15 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माने जाते हैं। राहु-केतु छाया ग्रह होने के कारण कभी भी अस्त नहीं होते। किन्तु यदि किसी कुंडली में कोई ग्रह अस्त होने के साथ साथ अशुभ फलदायी है तो ऐसे ग्रह को उसके रत्न के द्वारा अतिरिक्त बल नही दिया जाता क्योंकि किसी ग्रह के अशुभ होने की स्थिति में उसके रत्न का प्रयोग सर्वथा वर्जित है, भले ही वह ग्रह कितना भी बलहीन हो। ऐसी स्थिति में किसी भी अस्त ग्रह को बल देने का सबसे बढ़िया तथा प्रभावशाली उपाय उस ग्रह का मंत्र होता है। ऐसी स्थिति में उस ग्रह के मंत्र का निरंतर जाप करने से या उस ग्रह के मंत्र से पूजा करवाने से ग्रह को अतिरिक्त बल तो मिलता ही है, साथ ही साथ उसका स्वभाव भी अशुभ से शुभ की ओर बदलना शुरू हो जाता है। मेरे विचार से किसी कुंडली में किसी अस्त तथा अशुभ फलदायी ग्रह के लिए सर्वप्रथम उसके बीज मंत्र अथवा वेद मंत्र के 125,000 मंत्रों के जाप से पूजा करवानी चाहिए तथा उसके पश्चात नियमित रूप से उसी मंत्र का जाप करना चाहिए जिसके जाप के द्वारा ग्रह की पूजा करवायी गई थी Tarun K. Tiwari Astrologer,Palmist & Numerologist healer and Gemstone,vastu, pyramid and mantra tantra consultant; Jaipur -302001, Rajasthan whatsapp +91- 9413809000 best astrologer in india reviews,best astrologer in world, best astrologer in india quora,free best astrologer in india, best astrologer in india free online,kn rao astrologer,top 10 astrologers in delhi
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