केमद्रुम योग केमद्रुम दोष केमद्रुम क्या है

केमद्रुम योग केमद्रुम दोष केमद्रुम क्या है

चन्द्रमा से बनने वाला ये दोष अपने आप में महासत्यानाशी दोष है यदि चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश दोनों स्थानों में 
कोई ग्रह नही हो तो केमद्रुम नामक या दोष बनता है या फिर आप इसे इस प्रकार समझे चन्द्रमा कुंडली के
जिस भी घर में हो, उसके आगे और पीछे के घर में कोई ग्रह न हो। इसके अलावा चन्द्रमा की किसी ग्रह
से युति न हो या चंद्र को कोई शुभ ग्रह न देखता हो तो कुण्डली में केमद्रुम दोष बनता है। केमद्रुम दोष के
संदर्भ में छाया ग्रह राहु केतु की गणना नहीं की जाती है। जिस भी व्यक्ति की कुण्डली में यह दोष बनता हो
उसे सजग हो जाना चाइये।

इस दोष में उत्पन्न हुआ व्यक्ति जीवन में कभी न कभी किसी न किस पड़ाव पर दरिद्रता एवं संघर्ष से ग्रस्त

होता है। अपने ज्योतिष के अनुभव में मेने ऐसे ऐसे व्यक्ति देखे है जिन्होंने बड़ी मेहनत करके पैसा कमाया

लेकिन कुछ एक सालो बाद सब बर्बाद हो गया, तो यह इसी दोष कार्य का है। जीवन में सब कुछ वापिस

ले लेना और फिर शून्य स्थिति में लाना भी इसी दोष का कार्य है।
इसके साथ ही साथ ऐसे व्यक्ति अशिक्षित या कम पढा लिखे , निर्धन एवं मूर्ख भी हो सकते है। यह भी कहा

जाता है कि केमदुम योग वाला व्यक्ति वैवाहिक जीवन और संतान पक्ष का उचित सुख नहीं प्राप्त कर पाता है।

वह सामान्यत: घर से दूर ही रहता है। व्यर्थ बात करने वाला होता है कभी कभी उसके स्वभाव में नीचता का

भाव भी देखा जा सकता है।

केमद्रुम योग के अशुभ प्रभावों को दूर करने हेतु कुछ उपायों को करके इस योग के अशुभ प्रभावों को कम
 करके शुभता को प्राप्त किया जा सकता। सोमवार के दिन भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग का जल
 व गाय के कच्चे दूध से अभिषेक करे व पूजा करें। भगवान शिव ओर माता पार्वती का पूजन करें। रूद्राक्ष
 की माला से शिवपंचाक्षरी मंत्र " ऊँ नम: शिवाय" का जप करें ऎसा करने से केमद्रुम योग के अशुभ फलों
 में कमी आएगी। घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करके नियमित रुप से श्रीसूक्त का पाठ करें। दक्षिणावर्ती
 शंख में जल भरकर उस जल से देवी लक्ष्मी की मूर्ति को स्नान कराएं तथा चांदी के श्रीयंत्र में मोती धारण
 करके उसे सदैव अपने पास रखें या धारण करें।

केमद्रुम योग के प्रभाव को कम करने के उपाय
जन्म कुंडली में यदि केमद्रुम योग उपस्थित हो, तो यह जीवन में मानसिक तनाव, आर्थिक कठिनाइयाँ और
 अकेलेपन जैसे नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ज्योतिष शास्त्र में इस दोष के निवारण हेतु कुछ विशेष
 उपाय बताए गए हैं, जिनका नियमित पालन करने से इसके प्रभाव को काफी हद तक शांत किया जा सकता है।

✅ प्रमुख उपाय:
  1. पूर्णिमा व्रत का संकल्प
    लगातार चार वर्षों तक प्रत्येक पूर्णिमा को व्रत रखें। व्रत की शुरुआत उस पूर्णिमा से करें जो सोमवार को पड़े या उस दिन से करें जब पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में हो और वह भी सोमवार को हो।
  2. सोमवार को शिव पूजन
    प्रत्येक सोमवार शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएं। इसके बाद तिल मिले जल से अभिषेक करें और "ॐ सोम सोमाय नमः" मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
  3. सफेद वस्तुओं का दान
    शांति एवं शुभ प्रभाव के लिए चावल, दूध, सफेद फूल, कपूर, सफेद वस्त्र और सफेद मोती जैसे वस्तुओं का दान करें।
  4. सर्वतोभद्र यंत्र की स्थापना
    अपने घर के पूजा स्थल में सर्वतोभद्र यंत्र स्थापित करें और एक विशेष मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें (मंत्र विशेषज्ञ से पूछें)।
  5. कनकधारा यंत्र और स्तोत्र पाठ
    मंदिर में कनकधारा यंत्र स्थापित करें और प्रतिदिन तीन बार कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। यह आर्थिक समृद्धि और मानसिक शांति दोनों प्रदान करता है।
  6. सोमवार को मोती धारण करें
    एक शुद्ध सफेद मोती को चांदी में जड़वाकर, सोमवार के दिन अपनी छोटी उंगली में धारण करें। यह चंद्र ग्रह की शांति में सहायक होता है।
  7. दक्षिणावर्ती कवच और श्री यंत्र
    घर में दक्षिणावर्ती कवच रखें और प्रतिदिन श्रीसूक्त का पाठ करें। कवच में जल भरकर उसे देवी लक्ष्मी की प्रतिमा पर चढ़ाएं। साथ ही, चांदी में बना श्री यंत्र जिसमें मोती हो, उसे भी धारण करें।

इन उपायों को श्रद्धा और नियमितता के साथ करने से केमद्रुम योग के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता
 है और जीवन में मानसिक व आर्थिक स्थिरता लाई जा सकती है।

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