हो जायेंगे नवग्रह मुठ्ठी

How to come out of DRUGS Addiction

हो जायेंगे नवग्रह मुठ्ठी

ग्रहो की प्रकृति के अनुसार यदि सुगन्ध का स्तेमाल किया जाय तो निश्चित ही ग्रहों के प्रकोप से स्वयं को बचाया जा सकता है। सूर्य, चप्द्र, मंगल, बुध, ग्ररू, शुक्र शनि, राहु और केतु की अशुभता मनुष्य को अशान्त बना देती है। यदि आप श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इस प्रयोग को करते हैं तो आप पर नवग्रह अवश्य ही कृपा करेंगे।

सूर्यः- सूर्यदेव पृथ्वी पर साक्षात् देव हैं। यह अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिस जातक की कुण्डली में सूर्य वलवान हो तो वह सारे ग्रहो के दोषों को दूर कर देता है। यदि आप सूर्य देव की प्रसन्ता चाहते हैं तो दैनिक जीवन में सूर्य देव को केसर तथा गुलाब का इत्र या सुगंध अर्पित करें अथवा स्नान के जल में डालकर उपयोग करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।

चंद्रः- चप्द्रमा मन और मस्तिष्क का कारक है। यह जल तत्व का प्रतिनित्व करते हैं।
तन की स्वस्थता जीवन को आनन्दमयी बनाती है। यदि आप चन्द्रदेव की प्रसन्ता चाहते हैं तो दैनिक जीवन में चमेली और रातरानी का इत्र या सुगंध अर्पित करें अथवा स्नान के जल में डालकर उपयोग करने से चप्द्रदेव प्रसन्न होते हैं और जातक की पीड़ा को कम करते हैं।
मंगलः- मंगल शरीर के अन्दर रक्त का प्रवाहक है। यह अग्नि तत्व का ग्रह है। यदि आप मंगल्रदेव की प्रसन्ता चाहते हैं तो दैनिक जीवन में लाल चंदन का इत्र, सुगंध अथवा तेल अर्पित करें अथवा स्नान के जल में डालकर उपयोग करने से मंगलदेव प्रसन्न होते हैं और जातक की पीड़ा को कम करते हैं।.

बुधः- बुध शरीर के अन्दर विवेक के प्रवाहक है। यह प्रथ्वी तत्व का ग्रह है। यदि आप बुध्देव की प्रसन्ता चाहते हैं तो दैनिक जीवन में इलायची अथवा चंपा का इत्र या सुगंध अर्पित करें अथवा स्नान के जल में डालकर उपयोग करने से बुध्रदेव प्रसन्न होते हैं और जातक की पीड़ा को कम करते हैं।.

गुरूः- शरीर के अन्दर ज्ञान के प्रवाहक हैं। यह आकाश तत्व का प्रतिनिधि और समृद्धिदाता है। यदि आप वृहस्पति देव की प्रसन्ता चाहते हैं तो दैनिक जीवन में पीले फूलों की सुगन्ध, केसर और केवड़े का इत्र अर्पित करें अथवा स्नान के जल में डालकर उपयोग करने से गुरूदेव प्रसन्न होते हैं और जातक की पीड़ा को कम करते हैं। यह गुरू की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम है।

शुक्रः- शुक्र शरीर के अन्दर काम और सैक्स कके प्रवाहक है। जल तत्व का प्रतिनिधि औा सुगन्ध प्रिय है। यदि आप शुक्रदेव की प्रसन्ता चाहते हैं तो दैनिक जीवन में सफेद फूल, चंदन और कपूर का इत्र या सुगंध अर्पित करें अथवा स्नान के जल में डालकर उपयोग करने से शुक्र्रदेव प्रसन्न होते हैं और जातक की पीड़ा को कम करते हैं। चंपा, चमेली और गुलाब की तीक्ष्ण खुशबू से शुक्र नाराज हो जाते हैं। हल्की खुशबू के इत्र ही प्रयोग में लेने चाहिए।

शनिः- शनि शरीर के अन्दर हड्डी आदि के प्रवाहक हैं। शनि वायु ग्रह का प्रतिनिधि है। यदि आप शनिदेव की प्रसन्ता चाहते हैं तो दैनिक जीवन में कस्तूरी, लोबान, और सौंफ का इत्र या सुगन्ध अर्पित करें अथवा स्नान के जल में डालकर उपयोग करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जातक की पीड़ा को कम करते हैं।.

राहु और केतुः- राहु-केतु छाया ग्रह हैं। काली गाय का घी इन्हें बहुत प्रिय है। शरीर पर इसकी मालिश करने अथवा भोजन में खाने से राहु-केतु की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा इन्हें लोवान और कस्तुरी का इत्र भी विशेष पसंद है।
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