पंचकों में कौन से 5 काम नहीं करने चाहिए पंचकों का प्रारंभ एवं समाप्ति काल

पंचकों में कौन से 5 काम नहीं करने चाहिए पंचकों का प्रारंभ एवं समाप्ति काल

 हमारे शास्त्र क्या कहते हैं पंचको के बारे में, क्या है पंचक ?

जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में विचरण करते हुए धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्व भाद्रपदा, उत्तरा भाद्रपदा और रेवती इन नक्षत्रों में से विचरण करता है। उन्हें पंचक कहा जाता है। क्योंकि एक नक्षत्र लगभग 24 घंटे चलता है। इसी प्रकार से 5 नक्षत्र लगभग 5 दिन चलते हैं और इन्हीं 5 दिनों में से चंद्रमा का गुजरना पंचक कहलाता है।

आइए देखते हैं शास्त्र क्या कहते हैं ? इन पंचकों के बारे में, इन पंचकों में क्या नहीं करना चाहिए ?

हमारे शास्त्रों में पांच काम पंचकों में करने के लिए स्पष्ट रूप से मना किया गया है। जिस समय पंचक लगे हुए हैं।  पंचक के समय में निषेध काम है, शव का अंतिम संस्कार करना। जी हां, पंचक के समय में यदि किसी की मृत्यु हो जाती है, तो शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। अब चूंकि पंचक तो 5 दिन लगातार चलते हैं, तो 5 दिन तक तो हम शव को नहीं रख सकते, अतः उसके लिए हमारे शास्त्रों में पंचक शांति का विधान बताया गया है। पंचक शांति में डॉभ यानी कुशा के पांच पुतले बनाकर शव के ऊपर एक छाती, दो हाथ और दो पैर के ऊपर रखकर विधि विधान से उनका पूजन करने के बाद ही शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति हमारे शास्त्रों की आज्ञा का उल्लंघन करके शव का अंतिम संस्कार बिना पंचक शांति कराए ही कर देता है, तो उसके परिवार, गांव, पड़ोस, मित्र, बंधु या जो भी उसके निकटतम व्यक्ति हैं। उनमें से किसी की भी पांच दिनों के अंदर पांच मृत्यु हो जाती हैं। हमारे शास्त्रों में बताई हुई सभी बातें पूर्णतः सत्य हैं।

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