June 13, 2025
आज हम ऐसे योग के बारे में बात करेंगे। जिसमें कोई भी कार्य आरंभ करने का मतलब है की कार्य का विनाश करना। यह बहुत ही अशुभ (Inauspicious) योग माना गया है।
आइए जानते हैं इसके बारे में। What is Jwalamukhi Yoga ? ज्वालामुखी योग क्या है ?
ज्वालामुखी योग (Jwalamukhi yoga) का फल अशुभ (Inauspicious) माना गया है। इस योग में आरंभ किया हुआ कार्य पूर्णतया सिद्ध नहीं हो पाता अथवा बार-बार विघ्न-बाधाएं होती हैं। इस योग में भूलकर भी शुभ कार्य आरंभ नहीं करने चाहिए। इस मुहूर्त में सिर्फ शत्रु को प्रताड़ित व परेशान करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं बाकी अन्य किसी भी शुभ कार्य में इस मुहूर्त का प्रयोग नहीं किया जाता है।
जब प्रतिपदा को मूल नक्षत्र, पंचमी को भरणी, अष्टमी को कृतिका, नवमी को रोहिणी अथवा दशमी को अश्लेषा नक्षत्र आता है, तो ज्वालामुखी योग (Jwalamukhi yoga) बनता है। इस प्रकार 5 नक्षत्रों एवं 5 तिथियों के सहयोग से ज्वालामुखी योग बनता है।ज्वालामुखी योग ज्योतिष शास्त्र में एक ऐसा अशुभ योग माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में आकस्मिक संकट, विवाद, धनहानि, स्वास्थ्य समस्याएं और मानसिक तनाव ला सकता है। यह योग तब बनता है जब किसी कुंडली में राहु और केतु या शनि व अन्य क्रूर ग्रहों का विशेष संयोग बनता है, विशेषकर केंद्र या त्रिक भावों (6,8,12) में ग्रहों की स्थिति के कारण।
⚠ ज्वालामुखी योग के प्रभाव:
🔱 ज्वालामुखी योग निवारण (उपाय):
1️⃣ जप और मंत्र उपाय:
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राहु बीज मंत्र:
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः। (108 बार प्रतिदिन)
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शनि बीज मंत्र:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
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हनुमान चालीसा का पाठ: मंगलवार और शनिवार नियमित करें।
2️⃣ रत्न उपाय:
3️⃣ विशेष पूजा:
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काले तिल और सरसों के तेल का दान शनिवार को करें।
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महामृत्युंजय मंत्र का जप करें – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…
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राहु-केतु शांति पूजा या कालसर्प दोष निवारण पूजा करवाएं।
4️⃣ तांत्रिक उपाय:
5️⃣ सरल घरेलू उपाय:
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शनिवार के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।
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पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और 7 परिक्रमा करें।
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मंगलवार या शनिवार को मसूर दाल का दान करें।
✨ विशेष सलाह:
यदि आपकी कुंडली में ज्वालामुखी योग का संकेत है तो ज्योतिषीय परामर्श लेकर व्यक्ति विशेष उपाय करें। हर उपाय कुंडली आधारित होना चाहिए ताकि उचित समाधान मिल सके।
अगर चाहें तो मैं आपकी कुंडली देखकर व्यक्तिगत विशेष उपाय भी बता सकता हूं। बताएं।
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इस योग में हम पर कितना अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसके बारे में शास्त्र वचन नीचे दिया गया है।
जन्मे तो जीवे नही, बसे तो उजड़े गांव, नारी पहने चूड़ियां, पुरुष विहिनी होय । बोवो तो काटे नहीं, कुएं उपजे ना नीर।। अर्थात- इस योग में अगर बच्चे का जन्म हो जाए तो वह अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है। इस योग में अगर कोई व्यक्ति अपना घर बसाता है तो वह उजड़ जाता है। इस योग में अगर कोई स्त्री चूड़ियां पहनती हैं तो वह विधवा होती है। इस योग में अगर कोई व्यक्ति खेत में अन्न बोता है तो फसल का नाश होता है तथा अगर इस योग में कोई व्यक्ति कुएं आदि की खुदाई करता है तो उसमें से पानी नहीं निकलता है। इस प्रकार से यह बहुत ही अशुभ योग कहा जाता है। ज्वालामुखी योग के बारे में कहा गया है कि यदि कोई इस योग में रिश्ता पक्का हो जाता है अथवा इस योग में किसी व्यक्ति का विवाह हो जाता है तो उसे वैधव्य का दुख झेलना पड़ता है। इस योग में अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो वह जल्दी से ठीक नहीं हो पाता। इस प्रकार से अनगिनत बहुत सारे अशुभ फल प्राप्त होते हैं अतः प्रत्येक व्यक्ति को इस ज्वालामुखी योग में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।