ज्योतिष और व्यवसाय

ज्योतिष और व्यवसाय

ज्योतिष और व्यवसाय
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मित्रों आज की मुख्य समस्याओं में से एक समस्या रोजगार की है| हर इंसान की ये इच्छा होती है की वो ऐसा व्यवसाय करे जिसमे उसे सफलता मिले लेकिन अधिकतर मामलों में देखा गया है इंसान को काफी संघर्ष के बाद भी सफलता नही मिलती | इसके लिय हम ज्योतिष की मदद ले सकते है ताकि कुंडली में सिथत ग्रहों के अनुसार यदि हम कार्य करे तो उसमे सफलता के ज्यादा योग बने|
कुंडली में व्यवसाय को देखते समय हमे लग्न दूसरा सातवां दसवां और ग्यारवाँ भाव का अध्ययन करना आवश्यक होता है| जैसा की आपको पता है की लग्न कुंडली का आधार है| हम जो भी कार्य करते है उसकी हमे हमारा शरीर आज्ञा देता है या नही उसकोदेखना सबसे पहले देखना आवश्यक है | जैसे की हम बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत वाला कार्य करना चाहते है लेकिन कुंडली का लग्न भाव हमे ज्यादा मेहनत करने वाला नही बता रहा है तो हम उस कार्य के समान शारीरिक महनत नही कर पाते और सफलता का सामना करना पड़ता है| साथ ही हमारा लग्न किस राशि में यानी चर सिथर या दिस्वभाव राशिका है उसका भी हमारे कार्य पर प्रभाव पड़ता है अत उसका भी ध्यान रखना आवश्यक है|
कुंडली में दसम भाव हमारे कर्म का भाव है| कर्म छेत्र में हमे कितनी सफलता मिलेगी कितना संघर्ष करना पड़ेगा आदि की सिथ्ती इसी भाव पर निर्भर करती है| इसिलिय यदि कोई ग्रह दसम भाव में बली होकर सिथत है तो उस ग्रह से सम्बन्धित कार्य में हम सफलता प्राप्त क्र सकते है|
दसम से दसम भाव यानि की कुंडली का सातवां भाव भी व्यवसाय के मामले में मुख्य भूमिका निभाता है| साथ ही ये भाव साझेदारी में व्यवसाय को भी दर्शाता है| साझेदारी में किये हुवे कार्य में हमे लाभ मिलेगा या दोखा मिलेगा उसकाज्ञान हमे ये ही भाव करवाता है| इसिलिय कोई भी कार्य करते समय इस भाव का अध्ययन आवश्यक होता है|
इसके बाद आता है ग्यारवाँ भाव जो की लाभ आय का होता है| किस वस्तु से हमे कितना लाभ हो सकता है उसे ये ही भाव दर्शाता है| हमारी इच्छाओं की पूर्ति का भी यही भाव है| इसिलिय इस भाव में यदि कोई ग्रह बली होकर सिथत है तो उस ग्रह से सम्बन्धित व्यवसाय करके हम सफलता प्राप्त क्र सकते है|
कुंडली का दुसरा भाव धन भाव कहलाता है| हम कितना धन संचित कर पायेंगे उसकी जानकारी हमे ये ही भाव देता है| अत इस भाव में सिथत ग्रह के व्यवसाय से हम धन लाभ ले सकते है|
इसिलिय मित्रों कोई भी कार्य करते समय इन सभी भावों में सिथत ग्रहों में से जो ग्रह कारक होकर बलि अवस्था में हो उस से सम्बन्धित यदि आप व्यवसाय करते है तो उसमे आपको सफलता मिलने के ज्यादा योग बन जाते है| यदि इनमे से किसी में भी कोई ग्रह नही है तो फिर इन भावों में सिथत मालिकों की सिथ्ती देखकर उनके अनुसार आप व्यवसाय कर सकते है|
कोई भी कार्य करते समय आपको अपनी शारीरिक दक्षता और देश काल प्रिसिथ्ती का ध्यान रखना आवश्यक है| साथ ही आपको ये भी देखना जरूरी है की आज के आधुनिक समय के हिसाब से उस कार्य में कितनी सफलता मिल सकती है उसमे आपको केवल आपका vivek ही साथ दे सकता है क्योंकि ज्योतिष में बहुत कम कार्यों का जिक्र है और आधुनिक युग में समय के अनुसार उनकी परिभाषा बदल गई है| एक ग्रह के अंतर्गत अब बहुत से कार्य आने लग गए| अत काफी सोच विचार के बाद ही अंतिम निर्यण पर पहुंचे|
इसके साथ ही व्यवसाय और नोकरी में से किसे चुने इसकी भी समस्या बहुत लोगों को आती है ऐसे में आपको दसम और छटे भाव का तुलनात्मक अध्ययन करना होगा यदि छटा भाव दसम से ज्यादा बली है तो नोकरी और यदि दसम ज्यादा बली है तो खुद का व्यवसाय में ज्यादा लाभ होगा |

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