काल सर्प दोष, जानिए इसके लक्षण और उपाय

तमाम मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती। कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को अमूमन 42 वर्ष के बाद ही सफलता हासिल होती है। शत्रु काफी बढ़ जाते हैं। स्वास्थ्य खराब रहता है। व्यापार में लगातार हानि होती रहती है। विवाह होने में देरी होती है। संतान सुख प्राप्त करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

काल सर्प दोष, जानिए इसके लक्षण और उपाय

काल सर्प दोष, जानिए इसके लक्षण और उपाय

यदि किसी की जन्म कुंडली या कुंडली में काल सर्प योग है, तो वे अक्सर अपने सपने में मृत लोगों की 
तस्वीरें देखते हैं। ... कुंडली में मौजूद इस योग के कारण उन्हें जीवन में संघर्ष करना पड़ता है और 
जरूरत के समय अकेलापन महसूस होता है। काल सर्प योग के प्रभाव में आने वालों को सांप और 
सांप के काटने का बहुत डर होता है.तमाम मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती।
कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को अमूमन 42 वर्ष के बाद ही सफलता हासिल होती है। शत्रु काफी 
बढ़ जाते हैं। स्वास्थ्य खराब रहता है। व्यापार में लगातार हानि होती रहती है। विवाह होने में देरी होती है।
संतान सुख प्राप्त करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

कुंडली में काल सर्प दोष क्या है?
काल सर्प योग या काल सर्प दोष किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों का अशुभ ज्योतिषीय संयोजन है जिसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है। … एक व्यक्ति को कालसर्प दोष कहा जाता है जब उसकी जन्म कुंडली में सभी 7 ग्रह राहु और केतु के बीच होते हैं।

जब कुंडली में राहु और केतु एक तरफ मौजूद होते हैं और बाकी सभी ग्रह इनके बीच में हों स्थित हों तब कालसर्प योग या दोष बनता है। ऐसा कहा जाता है कि जिनकी कुंडली में ऐसी स्थिति बनती है उन्हें जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन लोगों को सफलता पाने में देरी लगती है। काल सर्प योग 12 प्रकार के होते हैं जिनका अलग-अलग प्रभाव होता है। कई लोगों के जीवन में इस योग की वजह से अशांति मची रहती है।

काल सर्प दोष क्यों है?
ज्योतिष के अनुसार, काल सर्प योग अक्सर किसी के पिछले कर्मों या कर्मों का परिणाम होता है। 
यह तब हो सकता है जब किसी व्यक्ति ने वर्तमान या पिछले जन्म में किसी जीवित प्राणी/सांप को नुकसान
पहुंचाया हो। यह योग (योग आसनों के साथ गलत नहीं होना चाहिए) मृतक के होने पर भी हो सकता है
मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे पास काल सर्प दोष है?
काल सर्प दोष के लिए चार्ट का विश्लेषण करते समय ग्रहों की डिग्री की जांच करना भी आवश्यक है। 
मान लीजिए कि यदि मंगल और राहु एक ही राशि में हों और मंगल की 10 डिग्री हो जबकि राहु की 
10.5 डिग्री हो, तो इसे काल सर्प दोष माना जाएगा।
काल सर्प योग के प्रकार:
अनंत काल सर्प योग तब बनता है जब कुण्डली के पहले भाव में राहु और सातवें भाव में केतु स्थित हो।
इस दोष से पीड़ित जातकों को विवाह में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कुलिक काल सर्प योग तब बनता है जब कुंडली के दूसरे भाव में राहु स्थित हो और आठवें भाव में केतु। 
इस दोष से पीड़ित जातकों को शारीरिक कष्य होते हैं।
वासुकि काल सर्प योग तब बनता है जब कुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु स्थित हो। 
ये काफी खतरनाक होता है। इस योग के कारण जातकों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना 
पड़ता है।
शंखपाल काल सर्प योग तब बनता है जब कुंडली के चौथे भाव में राहु और दशम भाव में केतु स्थित हो। 
इस योग के कारण जातक के बुरे कार्यों में संलिप्त होने के आसार रहते हैं।
पदम काल सर्प योग तब बनता है जब कुंडली में राहु पाँचवें भाव में और केतु ग्यारहवें भाव में स्थित हो। 
इस योग के कारण जातक को संतान संबंधी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।
महापदम काल सर्प योग तब बनता है जब कुंडली के छठे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु स्थित 
हो।यह दोष भी जातक के लिए कष्टकारी होता है।
तक्षक काल सर्प योग तब बनता है जब कुंडली के सातवें भाव में राहु और पहले भाव में केतु स्थिति हो। 
इस योग के कारण जातकों का वजन बढ़ जाता है।
कर्कोटक काल सर्प योग तब बनेगा जब कुंडली में आठवें भाव में राहु और दूसरे भाव में केतु विराजमान
हो। इस योग से पीड़ित जातकों को बचपन में शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ता है। साथ ही ऐसे 
जातकों को नौकरी मिलने में कठिनाइयां आती हैं। व्यापार में भी क्षति होती रहती है
शंखचूड़ काल सर्प योग तब बनता है जब राहु कुंडली के नवम भाव में और केतु तीसरे भाव में 
विराजमान होता है। इस योग से पीड़ित जातकों को पितृ दोष होता है। इस योग के कारण पिता का सुख 
नहीं मिलता है और कारोबार में अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है।
घातक काल सर्प योग तब बनता है जब राहु कुंडली में दसवें भाव में और केतु चौथे भाव में स्थित हो। 
यह योग अपने नाम के अनुरूप जातकों के लिए घातक होता है। इस योग के कारण गृहस्थ जीवन में 
कलहबनी रहती है। साथ ही नौकरी में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
विषधर काल सर्प योग तब बनता है जब कुंडली के ग्यारहवें भाव में राहु और पाँचवें भाव में केतु स्थित 
हो। इस योग के कारण व्यक्ति गैरकानूनी कार्यों में लिप्त हो जाता है। ऐसे लोगों को नेत्र और हृदय से जुड़ी
समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

शेषनाग काल सर्प योग तब होता है जब जन्म कुंडली में राहु बारहवें भाव में और केतु छठे भाव में स्थित होता है। यह योग अन्य काल सर्प योगों की तुलना में ज्यादा भयावह है। इस योग में व्यक्ति को गुप्त शत्रुओं का सामना करना पड़ता है और मानसिक अशांति बनी रहती है।

काल सर्प इनके लिए भाग्यशाली: कुण्डली में जब राहु अपनी उच्च राशि वृष या मिथुन में होता है तो 
ऐसे लोग राहु की दशा में खूब सफलता पाते हैं। कालसर्प योग वाले व्यक्ति की कुंडली में जब गुरू और 
चन्द्र एक दूसरे से केन्द्र में हों अथवा साथ बैठें हों तो ऐसा व्यक्ति भी निरंतर उन्नति करते हैं।
काल सर्प के उपाय: राहु और केतु ग्रहों की शांति के उपाय करें। काल सर्प दोष निवारण यंत्र की पूजा 
करनी चाहिए। आप सर्प मंत्र और सर्प गायत्री मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। भैरव देव की उपासना करना
भी फलदायी माना गया है। किसी मंदिर में शिवलिंग स्थापित कर सकते हैं। श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप 
करें और शिव जी को चंदन की लकड़ी चढ़ाएँ। नाग पंचमी के दिन शिव मंदिर की साफ़-सफाई करें।
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