दाहिनी सूंड वाले गणेश

दाहिनी सूंड वाले गणेश

दाहिनी सूंड वाले गणेश जी होते हैं शत्रु विनाशक
– सिद्धिविनायक के नाम से भी पूजे जाते हैं ऐसे गणपति
– जयपुर में नहर के गणेश जी की है चमत्कारी मूर्ति
जयपुर। धर्म शास्त्रों में भगवान श्रीगणेश के अनेक नाम बताए गए हैं। उन्हीं में से एक नाम है वक्रतुंड, जिसका अर्थ है भगवान गणेश का वह स्वरूप जिसमें उनकी सूंड मुड़ी हुई होती है। श्रीगणेश के इस स्वरूप के भी कई भेद हैं। कुछ मुर्तियों में गणेशजी की सूंड को बाईं को घुमा हुआ दर्शाया जाता है तो कुछ में दाईं ओर।
कुछ विद्वानों ने भगवान श्रीगणेश की घूमी हुई सूंड के पीछे भी कई तर्क दिए हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि दाईं ओर घूमी सूंड के गणेशजी शुभ होते हैं तो कुछ का मानना है कि बाईं ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ फल प्रदान करते हैं। हालांकि कुछ विद्वान दोनों ही प्रकार की सूंड वाले गणेशजी का अलग-अलग महत्व बताते हैं।
उसके अनुसार यदि गणेशजी की स्थापना घर में करनी हो तो दाईं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ होते हैं। दाईं ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो जाता है। किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं जाते समय यदि इनके दर्शन करें तो वह कार्य सफल होता है व शुभ फल प्रदान करता है।इससे घर में पॉजीटिव एनर्जी रहती है व वास्तु दोषों का नाश होता है।
– घर में नकारात्मक शक्ति को प्रवेश से रोकते हैं
धर्म शास्त्रों के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर भी गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर लगाना शुभ होता है। यहां बाईं ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करना चाहिए। बाईं ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी विघ्नविनाशक कहलाते हैं। इन्हें घर में मुख्य द्वार पर लगाने के पीछे तर्क है कि जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी हमारे साथ आ जाती है। घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं रुक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती।
-जब सूंड हो दाहिनी ओर
दाहिनी ओर की सूंड वाले गणपति की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है तथा इनके लिए विशिष्ट पूजा की आवश्यकता होती है। आप इन आवश्यकताओं की पूर्ति घर पर नहीं कर सकते और यही कारण है कि इस प्रकार की गणपति की मूर्ति केवल मंदिरों में ही मिलती है। अत: घर में बाईं ओर की सूंड वाले, सीधी सूंड वाले या हवा में सूंड वाले गणपति की मूर्ति ही रखें। गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का और दाईं में सूर्य का प्रभाव माना गया है।
-शत्रु पराजय औऱ विजयश्री देते दाहिनी सूंड गणपति
गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाआें से दिखती है। जब सूंड दाईं आेर घूमी होती है तो इसे पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित माना गया है। एेसी प्रतिमा का पूजन विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है।
सीधी सूंड वाली मूर्त का सुषुम्रा स्वर माना जाता है और इनकी आराधना रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। संत समाज एेसी मूर्ति की ही आराधना करता है।

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